शारदीय नवरात्र में नयागांव कालरात्रि स्थान मंदिर में लगी भक्तों की भीड़

सप्तम दुर्गा कालरात्रि की आज होगी विशेष पूजा और अनुष्ठान

अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। सारण जिला के हद में सोनपुर अंचल के डुमरी बुजुर्ग नयागांव स्थित कालरात्रि स्थान मंदिर में देवी भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा है।शारदीय नवरात्र के सातवें दिन सप्तम दुर्गा कालरात्रि की विशेष पूजा की तैयारी पूरी की गयी है।

जानकारी के अनुसार नयागांव मंदिर परिसर में निरंतर दुर्गा सप्तशती का पाठ चल रहा है। जप, तप, होम से सम्पूर्ण वातावरण पवित्र हो गया है। विधि विधान के साथ देवी की अर्चना पूजन जारी है। इस अवसर पर डुमरी बुजुर्ग काल रात्रि स्थान के बाहरी परिसर में विभिन्न प्रकार की दुकानें सजी है। कहीं मिठाई की बिक्री हो रही है, तो कहीं पूजा सामग्री की। माता की चुनरी भी जमकर बिक रही है। छोटे बच्चों के लिए खिलौने की भी बिक्री हो रही है।

पूरा क्षेत्र माता कालरात्रि की जय जयकार से गूंज रहा है। दूर दराज से श्रद्धालुओं का आगमन हो रहा है। साफ सफाई की भी पर्याप्त व्यवस्था की गई है। आरती पूजन से चहुं ओर भक्ति का माहौल है।
वैसे तो इस मंदिर में माता की पूजा नियमित होती है।

जिसमें दूसरे राज्यों से भी भक्त गण माता के दर्शन को आते रहते हैं। परन्तु, नवरात्रि की सप्तमी तिथि को सोनपुर स्थित डुमरी बुजुर्ग के कालरात्रि मंदिर में मां काली की विशेष पूजा होती है। इसे लेकर यहां पुरुष व महिला श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

यह मंदिर राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच 19 से सटे डुमरी बुजुर्ग गांव में है, जिसे मनोकामना सिद्ध स्थल माना जाता है। यहीं पर देव नदी गंगा और अग्नि गर्भा मही नदी का संगम भी है। इसी संगम पर मां कालरात्रि विराजमान हैं। इस मंदिर की महिमा अपरंपार है।

उक्त मंदिर के पुजारी ब्रजेशानंद मिश्र और सोना बाबा बताते हैं कि मार्कण्ड पुराण में वर्णित मां दुर्गा का सप्तम स्वरूप मां कालरात्रि का यह अपने आप में एकलौता मंदिर है, जहां दूर-दूर से श्रद्धालु आकर दर्शन करते हैं। मन्नत मांगते हैं और उनकी मुरादें भी पूरी होती हैं।

उन्होंने बताया कि भक्तों की मनोकामना पूर्ण होने के कारण ही इसे मनोकामना सिद्ध देवी मंदिर के नाम से भी प्रसिद्धि मिली है। जिन भक्तों की माता मनोकामना पूर्ण करती हैं वे देवी को 24 मीटर की चुनरी चढ़ाते हैं। इस दौरान वे अपने परिवार संग गाजे बाजे के साथ आते हैं ।

पुजारी के अनुसार भादो के महीने में अमावस्या के दिन भी इनकी विशेष पूजा आयोजित की जाती है, क्योंकि ये कालरात्रि हैं। यह मंदिर गांव के ठीक बीच में एक ऊंचे पिण्डी के उपर है।

पूजा समिति के अध्यक्ष विजय सिंह तथा उपाध्यक्ष कृष्ण मोहन सिंह उर्फ लड्डू सिंह का कहना है कि कभी यह गांव सारण डीह के नाम से प्रसिद्ध रहा है। इसी सारण गढ़ पर मां का निवास है। स्थानीय रहिवासी भी बताते हैं कि सारण गढ़ पर डुमरी गांव बसा होने के कारण यहां के राजपूत जाति को सरणीहां राजपूत की भी ख्याति मिली। इस मंदिर के आसपास खुदाई में पुरातात्विक महत्व की वस्तुएं मिली हैं।

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