माकपा जांच टीम डायन हत्या पीड़ित परिवार एवं ग्रामीणों से मिला

आझा, गुणी को स्थानीय प्रशासन का संरक्षण के कारण बढ़ रहा है घटना-रंगोवती

एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। माकपा जांच टीम बीते दिनों सोनाहातू जाकर डायन हत्या पीड़ित परिवार एवं ग्रामीणों से मिला। टीम ने न्यायिक जांच, मुवावजा एवं दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग है।

जानकारी के अनुसार माकपा, किसान सभा एवं जनवादी महिला समिति का 5 सदस्यीय जांच टीम सोनाहातू प्रखंड के हद में राणाडीह गांव पहुंच कर डायन हत्या में मृतक रातुमनी देवी, राईलू देवी एवं एतवारी देवी के पीड़ित परिजनों एवं ग्रामीणों से मिल कर इस नृशंस डायन हत्या का जायजा लिया।

टीम में माकपा झारखंड सचिव मंडल सदस्य सह झारखंड राज्य (Jharkhand State) किसान सभा के राज्य उपाध्यक्ष सुफल महतो, झारखंड राज्य जनवादी महिला समिति की राज्य उपाध्यक्ष सह पूर्व जिला परिषद सदस्य रंगोवती देवी, एडवा प्रखंड सचिव यशोदा देवी, माकपा सोनाहातु लोकल कमिटी सचिव सह जिला कमिटि सदस्य उमेश महतो, किसान नेता बसंत सिंह मुंडा शामिल थे।

माकपा टीम के अनुसार सांप काटने से मृत राजकिशोर मुंडा के मौत का कारण उक्त महिलाओं को डायन बताकर पीट-पीट कर एवं पत्थर से कूच कर जघन्य हत्या को अंजाम दिया गया। टीम के अनुसार गांव का ओझा सुकरा मुंडा ने घटना को हवा देने का काम किया।

माकपा जांच टीम ने राणाडीह नृशंस डायन हत्याकांड की न्यायिक जांच कराने, मृतक के परिजनो को पर्याप्त मुआवजा एवं सुरक्षा देने, ओझा, गुणी पर प्रतिबंध लगाने तथा आदिवासी, दलित, पिछड़े गांव में सरकार द्वारा निरंतर डायन प्रथा, अंधविश्वास विरोधी अभियान चलाने की मांग की।

साथ ही आदिवासी संगठनों, सामाजिक संगठनों से भी ग्राम सभाओं के जरिए डायन प्रथा एवं अंधविश्वास के खिलाफ अभियान चलाने की अपील की। कहा गया कि माकपा, जनवादी महिला समिति, किसान सभा डायन हत्या एवं अंधविश्वास के खिलाफ हर गांवों में अभियान तेज करेगी।

इस संबंध में झारखंड राज्य जनवादी महिला समिति के राज्य उपाध्यक्ष सह पूर्व जिला परिषद सदस्य रंगोवती देवी ने लगातार बढ़ रही डायन प्रताड़ना एवं डायन हत्या पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कही कि झारखंड सहित पांच परगना क्षेत्र यथा रांची से सटे सोनाहातु, बुंडू, तमाड़ में क‌ई आदिवासी, दलित, पिछड़ी महिलाओं को डायन प्रताड़ना एवं डायन हत्या का शिकार होना पड़ा।

उन्होंने कहा कि डायन हत्या में मुख्य भूमिका गांवों के ओझा गुणी का होता है। उन पर कार्रवाई के निर्देश के बावजूद स्थानीय पुलिस प्रशासन मुकदर्शक बनी रहती है या उनके संरक्षण से ओझा, गुणी के सहयोग से डायन प्रथा तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने आशंका व्यक्त करते हुए कहा कि बुंडू में चार परिवारों का समाजिक बहिष्कार किया गया है जिससे यहां कभी भी अनहोनी हो सकती है।

उन्होंने मांग की कि सरकार (Government) ओझा, गुणी पर यथासीघ्र प्रतिबंध लगाए तथा गांवों में व्यापक रूप से डायन प्रथा के खिलाफ अभियान चलाएं। साथ हीं डायन हत्या के अभियुक्तों पर फास्ट कोर्ट में त्वरित सुनवाई कर सजा की गारंटी करे।

महिला नेत्री ने कहा कि सोनाहातु के राणाडीह में तीन आदिवासी महिलाओं की सामुहिक नृसंश डायन हत्या के पश्चात पुलिस प्रशासन (Police Administration) द्वारा परिजनों को शव नहीं दिया जाना मानव अधिकार का घोर उलंघन है। उन्हें शव सौंपा जाना चाहिए था।

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