डीपीएस निदेशक की अपील से कमजोर वर्ग के बच्चों को मिलेगी राहत

संतोष कुमार/वैशाली (बिहार)। वैशाली जिला (Vaishali district) के हद में सराय स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल के निदेशक राजू खान ने कमजोर वर्ग के छात्र छात्राओं के प्रति चिंता जताई है।

उनका कहना है कि जिले में इक्विपमेंट बैंक नहीं होने से ऑनलाईन शिक्षा प्राप्त करने में ऐसे बच्चों को कठिनाईयां होती दिख रही है। इसलिए उन्होंने अपील किया है कि जिले के डीएम द्वारा जिला मुख्यालय हाजीपुर में एक मोबाईल दान बैंक खोलने से उसका लाभ गरीब बच्चों को मिल सकेगा, और जिला प्रशासन के जरिए गरीब बच्चे ऑनलाईन शिक्षा हासिल कर सकेंगे।

निदेशक राजू खान ने कहा कि जिले के कई शिक्षा प्रेमियों तक जब यह खबर मीडिया के जरिए पहुंचेगी तो बौद्धिक समाज में इसकी चर्चा ने जोड़ पकड़ेगा। साथ ही कुछ लोगों ने अपनी बेहद सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे निदेशक दिल्ली पब्लिक स्कूल सराय राजू खान की इस पहल को सबसे बड़ी पहल कह सकते हैं।

इस कोरोना काल में जहां अभिभावकों पर रोजमर्रा के खर्च को पूरा करने की गम्भीर जवाबदेही आ पड़ी है। तो वहीं दूसरी तरफ बच्चों को ऑनलाईन शिक्षा से जोड़े रखने के लिए डिवाइसेज की जरूरत को पूरा करना एक अलग बजट बन रहा है। जिसे पूरा करना इन परिस्थितियों में काफी कठिन है।

इसलिए सभी प्रतिक्रिया देने वाले शिक्षा प्रेमियों ने एक स्वर से इस पहल की सराहना की है। सराहना करने वाले जिले वासियों में रंदाहा राजापाकड़ क्षेत्र में पहचान रखने वाले शिक्षाविद सह दयालपुर स्थित चर्चित निर्माणाधीन एबीसी पब्लिक स्कूल के निदेशक शिवचंद्र सिंह उर्फ बमबम जी,

शिक्षक सह अधिवक्ता प्रकाश कुमार, शिक्षक संघ के सक्रीय सदस्य शिक्षक धीरज कुमार, शिक्षक बेलकुंडा स्कूल अजीत कुमार, संकल्प शिक्षा निकेतन के संजय शर्मा सहित दर्जनों ने खान की पहल को शिक्षा के प्रति एक बेहतर चिंतन बताया।

बतातें चलें कि खान ने न सिर्फ जिले में इक्विपमेंट बैंक खोलने पर ध्यान आकृष्ट कराया है, बल्कि यह भी गुजारिश किया है कि अब धीरे धीरे फिर से शिक्षा क्षेत्र की सक्रियता में वृद्धि हो, ताकि शिक्षा प्रभावित नहीं हो।

उन्होंने जानकारी देते हुए जिला प्रशासन को भेजे गए आवेदन मे यह भी कहा है कि दूसरे प्रदेशों में इक्विपमेंट बैंक उपलब्ध हैं। यहां भी अगर प्रशासनिक या अन्य क्षेत्र से जुड़े लोगों की निष्ठायुक्त पहल होगी तो कमजोर वर्ग के छात्रों तथा छात्राओं को इसका भरपूर लाभ मिलेगा। उनकी शिक्षा पर उनका अभावग्रस्त जीवन नकारात्मक प्रभाव नहीं डाल सकेगा। साथ ही अभिभावकों को भी राहत मिल सकती है।

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