तीसरी लहर की संभावना को ले मुख्यमंत्री ने चिकित्सकों संग किया संवाद

एस.पी.सक्सेना/रांची (झारखंड)। कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) ने 23 मई को वेबिनार के जरिए देश एवं राज्य के विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ संवाद किया। विशेषज्ञ डॉक्टरों ने तीसरी लहर में बच्चों में संक्रमण की आशंका को देखते हुए उससे निपटने के कई सुझाव दिए।
दिल्ली एम्स के शिशुरोग विभाग के अध्यक्ष डॉ अशोक देवरारी ने कहा कि आगामी लहर में ज्यादा बच्चे हॉस्पिटल में भर्ती होंगे। विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त बच्चों में संक्रमण गंभीर होगा, जो मौत का कारण भी बन सकता है। डॉ देवरारी ने सुझाव दिया कि जिला स्तर पर आईसीयू के लिए वेंटिलेटर खरीदने की जरूरत नहीं है। यदि उसके मैनेजमेंट के लिए पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित शिशुरोग विशेषज्ञ नहीं हैं। भारत में डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि डॉ रोडरेरिका ने तीसरी लहर से निबटने के लिए प्राईवेट व पब्लिक हेल्थ केयर फैसिलिटी के बीच समन्वय बनाने पर जोर दिया। साथ ही थ्री डब्ल्यू कोविड विहैवियर के तहत वियरिंग मास्क, वाशिंग हैंड व वाच फॉर डिस्टेंस पर विशेष ध्यान देने की बात कही।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने चिकित्सकों से कहा कि आपके सुझाव तीसरी लहर से निपटने में महत्वपूर्ण हैं। सुझाव के अनुरुप राज्य सरकार आगे की कार्य योजना बनाएगी। इस अवसर पर शिशु रोग विशेषज्ञ रानी हॉस्पिटल रांची के डॉ राजेश ने धन्यवाद ज्ञापन किया। वेबिनार में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, नगर विकास सचिव विनय कुमार चौबे, सिद्धार्थ त्रिपाठी सहित रिम्स एवं अन्य अस्पतालों के विशेषज्ञ डॉक्टर उपस्थित थे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री सोरेन ने वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि विशेषज्ञ डॉक्टरों के अनुभव, सहयोग और सुझाव से सरकार ने संक्रमण की पहली लहर से निपटने का काम किया, परंतु अचानक दूसरी लहर और खतरनाक रूप से आ खड़ी हुई। वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की माने तो अब तीसरी लहर भी संभावित है। तीसरी लहर ज्यादा आक्रमक न हो, इसके लिए जरूरी है कि पहले से ही तमाम स्वास्थ्य संसाधनों को चुस्त-दुरुस्त किया जाए। इसी के तहत राज्य के सभी जिला एवं प्रखंड स्तर के अस्पतालों में अलग से शिशु वार्ड तैयार करने का निर्देश राज्य सरकार ने दिया है। सभी अस्पतालों में चिल्ड्रेन केयर यूनिट बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड प्रदेश पारंपारिक रहन-सहन एवं ट्रेडिशनल कल्चर के लिए जाना जाता है। वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों में कोरोना संक्रमण के उपचार एवं वैक्सीनेशन को लेकर तमाम भ्रातियां हैं। राज्य सरकार सामाजिक जागरूकता के साथ आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड के अंदर 24 जिले हैं। जिसमें 23 जिले अलग-अलग राज्यों के बॉर्डर क्षेत्र से जुड़े हैं। राज्य सरकार ने इंटर स्टेट मूवमेंट को रोकने का कार्य किया है। सरकार का प्रयास है कि कोरोना संक्रमण से किस तरह निपटें कि स्थिति नियंत्रण में हो सके। यही कारण है कि आप सभी विशेषज्ञों के साथ वेबिनार का आयोजन किया गया है।
शिशुरोग विभाग एम्स नयी दिल्ली के एचओडी डॉ अशोक देवरारी ने तीसरी लहर को देखते हुए वेंटिलेटर की बजाए एचएफएनसी एवं सीपैप उपकरण खरीदने का सुझाव दिया। इसके संचालन में न के बराबर अनुभव की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बच्चों में मिस-सी (मल्टी इन्फ्लामेटरी सिंड्रोम) गंभीर संक्रमण के दो से 6 सप्ताह के बाद सामने आता है। इसमें शरीर के कई अंग प्रभावित होते हैं। ऐसे बच्चों में मौत का खतरा ज्यादा है। उन्होंने इसके उपचार के लिए पहले से ही आईवीआईजी (इंट्रावेनस इम्युनोग्लोबुलिन) उपलब्ध कराने की बात कही। साथ ही मैनपावर को प्रशिक्षित करने पर भी बल दिया।
मेदांता नयी दिल्ली के निदेशक पेडिएट्रिक्स डॉ नीलम मोहन ने मिस सी की पहचान के लिए कोविड एंटीबॉडी टेस्टिंग सुविधा उपलब्ध कराने की बात कही। कहा कि ट्रांसपोर्ट फैसिलिटी का दुरुस्त होना भी जरूरी है ताकि बच्चों को बेहतर रेफरल सुविधा दी जा सके। उन्होंने स्वास्थ्य कर्मियों को कोविड के खतरनाक लक्षणों (डेंजर साईन) का प्रशिक्षण दिए जाने की बात कही। निम्हांस के एपिडेमोलॉजिस्ट डॉ प्रदीप ने राज्य स्तर पर एक टेक्निकल कमेटी बनाने का सुझाव दिया जो तीसरी लहर से निपटने में सरकार का मार्गदर्शन करेगी।

 255 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *