जिसका अस्त होता है, उसका उदय भी निश्चित है-संत मौनी बाबा
प्रहरी संवाददाता/सारण (बिहार)। सारण जिला के हद में सोनपुर के हरिहरक्षेत्र थाना क्षेत्र के नारायणी नदी किनारे नमामि गंगे के विविध घाटों पर 8 नवंबर को हजारों की संख्या में छठ व्रतियों ने उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया। इसके साथ ही चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ संपन्न हो गया।
इस मौके पर छठ व्रतियों एवं बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा एवं नारायणी के पवित्र नदी घाटों पर अहले सुबह भगवान सूर्य को अर्घ्य प्रदान कर बाल-बच्चों व पति के सुख समृद्धि की कामना की। इस दौरान घाटों पर व्रतियों एवं उनके परिजनों का हुजूम उमड़ आया था।
जानकारी के अनुसार सोनपुर के सवाईच घाट, दीपोत्सव घाट, माधव बाबू स्मृति घाट, भारत वंदना घाट, विजय घाट, कष्ट हरिया घाट, गजेन्द्र मोक्ष घाट, कांच मंदिर घाट, काली घाट, गोकरण दास काली घाट आदि घाटों पर छठ पूजा पूरे भक्ति भाव के साथ किया गया।
यहां स्थित श्रीगजेन्द्र मोक्ष स्मारक से नमामि गंगे घाट के दीपोत्सव घाट, भारत वंदना घाट,vमाधव बाबू स्मृति घाट तक सोनपुर रहिवासी ज्ञानेन्द्र कुमार सिंह टुनटुन के नेतृत्व में तोरण द्वार, सजावट, साफ-सफाई तथा विद्युत व्यवस्था की गई थी। व्रतियों एवं उनके परिजनों के लिए शुद्ध जल, बिस्कुट एवं चाय की भी व्यवस्था की गई थी।
लोकसेवा आश्रम सोनपुर के सूर्य मंदिर में हुई पूजा
हरिहरनाथ थाना एवं हरिहरनाथ मंदिर के निकट स्थित लोक सेवा आश्रम परिसर में भगवान सूर्य के प्रसिद्ध मंदिर में छठ व्रत के दौरान व्रतियों एवं भक्तों की भीड़ पूजा -अर्चना करती दिखी। व्रतियों ने सूर्य मंदिर में जाकर भगवान सूर्य की प्रदक्षिणा भी की। लोक सेवा आश्रम के संत विष्णुदास उदासीन मौनी बाबा कहते हैं कि छठ पूजा में कोई पंडित – पुजारी नहीं होता। सूर्य देवता प्रत्यक्ष हैं। डूबते सूर्य की भी पूजा की जाति हैं। जाति, समुदाय का भेद नही रहता है।
श्रद्धालू लोक गीत गाते हैं। पकवान घर में बनता हैं। छठ घाट पर कोई उंच-निम्न नहीं होता। प्रसाद अमीर-गरीब सब श्रद्धा से ग्रहण करते हैं। छठ महापर्व यह सिख देता है कि जिसका अस्त होता है, उसका उदय भी निश्चित है। इस लिए अच्छे काम मनुष्य को स्वच्छता और इमानदारी के साथ करना चाहिए।
बाबा हरिहरनाथ की जमकर की गयी जय जयकारा
छठ व्रत के दौरान विश्व प्रसिद्ध बाबा हरिहरनाथ मंदिर में भक्तों की भीड़ पूजा और दर्शन के लिए उमड़ आयी। छठ व्रत की समाप्ति के बाद व्रतियों ने भगवान श्रीहरि विष्णु एवं बाबा भोले के शिव लिंग स्वरुप का दर्शन किया। मंदिर में स्थापित सभी देवी- देवताओं का पूजन भी किया।बाबा हरिहरनाथ मंदिर के मुख्य अर्चक आचार्य सुशीलचंद्र शास्त्री एवं आचार्य पवन ने इस अवसर पर समस्त हरिहरक्षेत्र वासियों को साधुवाद दी।
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