सहानुभूति के बल पर उपचुनाव जितना झांकी, 2024 में असली परीक्षा बाकी

हफीजुल हसन अंसारी, कुमार जयमंगल और बेबी देवी की होगी कड़ी परीक्षा

एन. के. सिंह/फुसरो (बोकारो)। झारखंड के मधुपुर, बेरमो और डुमरी उपचुनाव सहानुभूति के बल पर झामुमो और कांग्रेस ने जीत जरूर दर्ज कर ली है, लेकिन यह महज एक झांकी है। चुनाव जीतने वाले हफीजुल हसन अंसारी, कुमार जयमंगल और बेवी देवी के लिए 2024 में होनेवाला चुनाव असली परीक्षा बाकी है।

विदित हो कि तत्कालीन मंत्री और मधुपुर के विधायक हाजी हुसैन अंसारी के निधन के बाद मधुपुर में उपचुनाव हुआ था। जिसमें उपचुनाव से पूर्व ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हाजी हुसैन अंसारी के पुत्र हफीजुल हसन अंसारी को मंत्री बना दिया था। इस उपचुनाव में झामुमो का प्रत्याशी उसे ही बनाया गया। हफिजुल हसन अंसारी ने 5,292 वोट से जीत दर्ज की थी।

 

उसने भाजपा प्रत्याशी गंगा नारायण सिंह को हराया। हफीजुल हसन अंसारी को.1,10812 वोट मिले जबकि भाजपा प्रत्याशी गंगा नारायण सिंह को 1,05565 वोट मिले थे। मधुपुर विधान सभा क्षेत्र मे हफीजुल हसन अंसारी को सहानुभूति वोट प्राप्त हुआ, जिसके कारण जीत हुई।

इसी तरह पूर्व मंत्री और बेरमो विधायक राजेंद्र प्रसाद सिंह के निधन के बाद बेरमो में उपचुनाव हुआ। जिसमें कांग्रेस ने स्वर्गीय राजेंद्र प्रसाद सिंह के पुत्र कुमार जय मंगल उर्फ अनुप सिंह को प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में कुमार जयमंगल ने भाजपा प्रत्याशी योगेश्वर महतो बाटुल को 14,225 वोट से हराकर चुनाव जीता था।

इस उपचुनाव मे भी बेरमो मे सहानुभूति की लहर थी। कांग्रेस प्रत्याशी कुमार जय मंगल को 94,022 वोट मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी बाटूल को 79,797 वोट मिले थे। वहीं मंत्री जगन्नाथ महतो के निधन के बाद बीते 5 सितंबर को डुमरी में भी उपचुनाव हुआ। जिसमें स्वर्गीय महतो की पत्नी बेबी देवी को झामुमो प्रत्याशी बनाया गया।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मधुपुर के फार्मूला को डुमरी में भी लागू किया। सीएम ने बेबी देवी को चुनाव के पहले ही मंत्री बना दिया, लेकिन डुमरी विधानसभा क्षेत्र में सहानुभूति का सर्वाधिक असर रहा। इसके कारण बेबी देवी ने आजसू प्रत्याशी यशोदा देवी को 17153 वोट से हरा दिया। बेबी देवी को 100317 और यशोदा देवी को 83164 वोट प्राप्त हुए।

तीनों विधानसभा उपचुनाव में जीत दर्ज करना महज एक झांकी है। जीत दर्ज करने वाले विधायकों के लिए 2024 के चुनाव में असली परीक्षा बाकी है। ज्ञातव्य है कि 2024 के चुनाव में राज्य के नेताओं के पास उतना समय नहीं रहेगा कि वह किसी खास विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव की तरह समय दे सकेंगे। ऐसे में चुनाव जीतने वाले को अपने कार्य, बोलचाल और व्यवहार से ही 2024 का चुनाव जीतने का प्रयास करना होगा।

 117 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *