बुद्धकालीन प्रभाकर पुष्करणी तालाब बेहाल

गंगोत्री प्रसाद सिंह/हाजीपुर (वैशाली)। वैशाली जिला मुख्यालय हाजीपुर व्यवहार न्यायालय के कारगिल परिसर स्थित प्रभाकर पुष्करणी तालाब अपनी दुर्दशा पर ऑंसू बहा रहा है।

विदित हो कि, जिला न्यायालय का नया परिसर पहले हाजीपुर का अनुमंडल कारा था। जिसके परिसर में एक बहुत पुराना तालाब रहता आया है। जिसके सम्बन्ध में कहा जाता है कि यह बौद्धकालीन तालाब है, जिसका उपयोग जेल के कैदी स्नान के लिए करते आये हैं।

सन् 1972 में वैशाली जिला बनने के बाद इस स्थान से जेल का नया भवन दिग्घी में बनने के बाद जेल स्थानांतरित होकर चला गया और इस पुराने जेल परिसर में जिला न्यायालय का नया भवन बना, जिसमे अभी न्यायालय का कार्य चल रहा है। उक्त तालाब इसी परिसर में स्थित है।

सन् 1970 में वैशाली के तत्कालिन जिलाधिकारी प्रभाकर झा ने इस बौद्ध कालीन तालाब का उद्धार किया था। तालाब का पक्का घाट बना, लेकिन कालांतर में व्यवहार न्यायालय परिसर के कचड़े को इसी तालाब में फेंका जाने लगा, जिससे तालाब में गंदगी और बड़े बड़े घास और पेड़ उग गये। प्रशासन द्वारा इसके सफाई पर ध्यान नही दिया गया।

हाजीपुर के सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश रंजन ने बताया कि उन्होंने उच्च न्यायालय पटना के समक्ष इस प्रभाकर पुष्करणी की सफाई और सौंदर्यी करण के लिये कवजक क्रमांक-1665 वर्ष 2018 दाखिल किया, जिसमें उच्च न्यायालय ने जिला प्रसासन को उक्त प्रभाकरन पुष्करणी की सफाई और सही व्यवस्था करने का आदेश दिया। वैशाली जिला प्रशासन ने हाईकोर्ट के आदेश के बाबजूद इस पुष्करणी की साफ सफाई नही करवाई।

इस सम्बंध में जिले के राजापाकर क्षेत्र की विधायिका प्रतिमा कुमारी दास ने गत विधान सभा सत्र में हाई कोर्ट के आदेश के अनुपालन में अभी तक उक्त प्रभाकर पुष्करणी की सफाई औऱ इसका सुंदरीकरण नहीं किये जाने पर सरकार से प्रश्न किया है।

जिसके आलोक में सरकार द्वारा कार्यवाही की सूचना सम्बंधित विभाग को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। मुकेश रंजन ने आशा व्यक्त की है कि विधायक की वजह से प्रभाकर पुष्करणी का अब भाग्य खुल जायेगा।

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