कलश यात्रा के साथ ब्रह्मोत्सव सह श्रीलक्ष्मी नारायण यज्ञ शुरु

अवध किशोर शर्मा/सोनपुर (सारण)। सारण जिला के हद में सोनपुर स्थित नौलखा मंदिर में 24वां श्रीब्रह्मोत्सव सह श्रीलक्ष्मी नारायण यज्ञ के अवसर पर 31 जनवरी को विधिवत यज्ञ प्रारंभ किया गया। इस अवसर पर गजेन्द्र मोक्ष देवस्थानम दिव्य देश नौलखा मंदिर प्रांगण से 108 कलश के साथ कलश यात्रा सह जल यात्रा निकाला गय। कलश यात्रा में हजारों की संख्या में भक्त शामिल हुए।

इस दौरान भगवान श्री गजेन्द्र मोक्ष की जय जयकार से संपूर्ण हरिहरक्षेत्र की धरती गुंजायमान हो उठा। कलश यात्रियों ने यज्ञ स्थल की परिक्रमा कर गरुड़ देव को नमन किया। इसके साथ ही यज्ञ का विधिवत शुभारंभ हो गया।

कलश यात्रा का नेतृत्व श्रीगजेंद्र मोक्ष देवस्थानम दिव्य देश पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य जी महाराज कर रहे थे। यह यात्रा गजेन्द्र मोक्ष मंदिर से श्रीगरुड़देव की प्रदक्षिणा व उनके आशीर्वचन प्राप्त कर बाबा हरिहरनाथ मंदिर पहुंचा और उन्हें नमन करते हुए मीना बाजार रोड, छत्रपति रोड होकर श्रीगजेन्द्र मोक्ष घाट पहुंचा।

जहां वेदपाठी ब्राह्मणों द्वारा मंत्रोच्चारणों से जल मातृका, थल मातृका, स्थल मातृका एवं षोडशोपचार से वरुण देव का पूजन संपन्न हुआ। पूजनोपरांत देवी नारायणी की आरती की गयी। आरती के बाद कलश यात्रियों द्वारा विधिवत जल- हरण कार्य संपन्न हुआ। इसके बाद कलश यात्रियों ने पवित्र यज्ञ वेदी की परिक्रमा की और वैदिक मन्त्रोंच्चार के साथ कलश को यज्ञ स्थल पर स्थापित किया।

जल यात्रा एक सर्वोत्तम संस्कार

श्री गजेंद्र मोक्ष देवस्थानम दिव्य देश पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य जी महाराज ने इस मौके पर जल यात्रा के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आध्यात्मिक जगत में किसी भी अनुष्ठान यज्ञादि करने के लिए सर्वप्रथम जल यात्रा किया जाता है।

उन्होंने कहा कि जल ही जीवन है।गर्भाधान से अंत्येष्टि पर्यन्त जल की आवश्यकता है। बिना जल के न गर्भाधान और न ही अंत्येष्टि क्रिया का संपादन किया जा सकता है।उन्होंने कहा कि मानवोचित संस्कारों को सुसंस्कृत बनाने के लिए वरुण पूजा आवश्यक है। जल ही प्राण है। जल हीं ईश्वर है। अपवित्र हो या पवित्र सबको पवित्र करने की क्षमता जल में ही है।

सांध्यकालीन बेला में धर्म मंच का पूजन के उपरांत डॉ निर्मल शास्त्री, डॉ दीपक मिश्रा, अल्पना मिश्रा, गिरिराज शास्त्री आदि का प्रवचन हुआ। देर रात्रि में मानर पूजन, मृत्तिका हरण और अंकुरा रोपण का आयोजन किया गया।

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