डीएवी ढोरी में बहू की विदा नाटक तथा फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता का आयोजन

एस. पी. सक्सेना/बोकारो। बोकारो जिला के हद में फुसरो-डुमरी मुख्य पथ पर मकोली मोड़ स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल ढोरी में नई शिक्षा नीति 2020 के तहत गतिविधि आधारित शिक्षण के तहत 18 अक्टूबर को सामाजिक नाटक बहू की विदा का मंचन किया गया। उक्त नाटक विद्यालय के कक्षा अष्टम के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत किया गया।

जानकारी के अनुसार डीएवी ढोरी स्थित दयानंद सभागार में प्रस्तुत नाटक में वर्तमान समाज में दहेज प्रथा जैसे सामाजिक अभिशाप को प्रदर्शित किया गया। सामाजिक जागरूकता लाने के उद्देश्य से मंचित इस नाटक में समाज के दोहरे चरित्र कथनी और करनी में अंतर, दहेज की लोलुपता तथा बेटी और बहू के अंतर दिखाए गए हैं। नाटक में बताया गया कि सरकारी नियमावली दहेज अधिनियम (डाउरी एक्ट) तथा इसके उन्मूलन के लिए नाकाफी है।

अभी भी वक्त है समाज को सजग व क्रियाशील होने का, अन्यथा दहेज की बालि देवी पर हमारी ललनाएं धू-धू कर जलती रहेगी और सृष्टि खत्म हो जाएगा। इस अवसर पर बाल कलाकार जीवन लाल, राजेश्वरी, कमला, प्रमोद, मुखिया, थानेदार, जज, वकील, अर्दली तथा सिपाही की भूमिका में क्रमशः अनिल, आरती, रुचि, अभिनव, शौर्य, प्रेरणा, आरसी, ख्याति, कृष्णा, सिद्धार्थ, अर्पिता, लक्ष्मी, नीतीश, विशाल यदि ने उत्कृष्ट किरदार निभाया।

इस अवसर पर प्री-जूनियर विंग तथा जूनियर में सीसीए कार्यक्रम के तहत फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता का भी आयोजन सफलतापूर्वक किया गया। त्योहारों के इस मौसम में सामसामयिक ड्रेस पहनकर किसी ने मां दुर्गा, तो कोई महिषासुर, कोई राम तो कोई रावण के रूप में, कोई लक्ष्मी, काली, सीता, हनुमान की भूमिका में आकर्षक परिधान ने उपस्थित जन समुदाय का मन मोह लिया।

कार्यक्रम में विद्यालय के प्रचार्य सत्येंद्र कुमार ने बताया कि बच्चों के सर्वाँगिण विकास में ऐसी गतिविधियां सहायक तो होती ही है, साथ हीं सामाजिक घटनाओं की सीख उन्हें समाज के जबाबदेह नागरिक बनने में सहायता होगी।

कार्यक्रम के संयोजक एस. के. शर्मा की देख-रेख में सभी गतिविधियां आयोजित की गई। इसे सफल बनाने में गोपाल शुक्ला, अरुण गुप्ता, मनोज कुमार त्रिपाठी, पंकज यादव, साधु चरण शुक्ल, पूजा कुमारी, वंदना कुमारी, सीमा कुमारी, रश्मि रानी, रिंकी मल्लिक, रंजीता सिंह, ऊषा प्रसाद साहनी, अनुराधा अंबष्टा, दिनेश कुमार, शिल्पा कुमारी, अनिता कुमारी, सुनीता मुर्मू, शरणजीत कौर, बेबी अंजुमन, खुशबू कुमारी आदि शिक्षकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।

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