सबलपुर की होली की गजब की मस्ती, अतीत की झांकी के रंग-मिजाज

अवध किशोर शर्मा/सोनपुर (सारण)। सारण जिला के हद में सोनपुर प्रखंड के गंगा-गंडक संगम तीर्थ सबलपुर की होली की गजब होती है मस्ती और अजब रंग मिजाज। इसमें भी सबलपुर बभनटोली की होली का अपना अलग अंदाज है।

इतिहास के झरोखें में झांकें तो सबलपुर बभनटोली की होली की ख्याति इतनी बढ़ी-चढ़ी थी कि वैशाली जिला मुख्यालय हाजीपुर नगर के रामचौरा स्थान पर प्रतिवर्ष रामनवमी के दिन फगुआ गायकों की टोली रंग-अबीर, गुलाल, झाल-करताल एवं ढ़ोल वादकों के साथ पहुंचती और घंटों होती रंग भरी भक्तिमय होली। इसी तरह सोनपुर स्थित बाबा हरिहरनाथ मंदिर में शिवरात्रि एवं होली की पूर्व संध्या पर होली गवनई पूरे इलाके में ख्याति प्राप्त रही है।

पांच दशक पूर्व की इस होली में एक से बढ़कर एक फाग गायक, झाल-करताल एवं ढ़ोल वादन से जुड़े लोक कलाकारों की एक जगह समागम होता था। जिसमें प्रसिद्ध क्रांतिकारी स्व.ब्रह्मदेव सिंह, रामजिनिस सिंह, स्व. दरबारी सिंह, स्व.रामस्वरूप सिंह, स्व. रामसागर सिंह, स्व. रामसेवक सिंह (सभी क्रांतिकारी) स्व.बसावन शर्मा, स्व. नागेश्वर सिंह, स्व.जिउबोधन सिंह, स्व. रामेश्वर सिंह, आदि।

स्व.प्रो. चंद्रदीप सिंह शर्मा, स्व. मदन गोपाल शर्मा, स्व. महादेव सिंह, स्व. विश्वनाथ सिंह, स्व. रघुनाथ सिंह, स्व.सुदेश सिंह, स्व. रामप्रवेश सिंह, स्व. कृपाल सिंह, स्व. अवधेश सिंह, स्व. देवनाथ शर्मा, स्व. राजेन्द्र शर्मा के गायन एवं झाल वादन की सर्वत्र तूती बोलती थी।

इसी तरह ढ़ोल वादन विशेषज्ञों की संख्या झाल बजानें वालों की संख्या से सदैव कम रही है। जिस कारण उनकी गिनती अपनी टोली में नायकों की श्रेणी में होती है। ऐसे नायकों में स्व.सीता सिंह, स्व. शिव जतन सिंह, स्व. शिव बचन सिंह आदि का नाम उल्लेखनीय है।

इनमें सीता सिंह मानसिक रुप से गंवई किसी गुट से बंधे हुए नही थे। स्वतंत्र मानसिकता के कलाकार होने की वजह से किसी भी होली की टोली में पहुंच जाते और उन्हें देख सम्मान से रहिवासी ढ़ोलक उनकी ओर बढ़ा देते। तब ऐसा होली का रंग जमता कि रहिवासी श्रोता बाग-बाग हो उठते।

कहते हैं कि नाथ पंथी योगी गोरखाई नाथ के जीवित अवस्था मे जो होली शांति धाम गोरखाई नाथ सह शिव-शक्ति मंदिर पर होती थी-वह अब नही दिखती। हालांकि, परंपरा का निर्वहन आज भी होता है।उस होली में अमर शहीद रामवृक्ष ब्रह्मचारी, स्व.कालिका सिंह, स्व. बनवारी सिंह, स्व. रामस्वार्थ प्रसाद ,स्व. शिव शंकर राय आदि की भी भागीदारी होती थी।

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