अल्पसंख्यको का छात्रवृति योजना मात्र छलावा-अफजल अनीस

एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय भारत सरकार द्वारा चलाये जा रहे अल्पसंख्यक छात्रवृति योजना मात्र छलावा है, क्योंकि झारखंड में यह सिर्फ कागजी पन्नों में ही सिमट कर रह गई है। उक्त जानकारी यूनाईटेड मिल्ली फोरम के प्रदेश महासचिव अफजल अनीस ने 24 फरवरी को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी।

प्रदेश महासचिव अनीस ने कहा कि झारखंड में इन योजनाओं में बड़ी संख्या में छात्र/छात्राएँ छात्रवृति पाने के लिए आवेदन करते हैं, परंतु विभागीय लापरवाही और सरकारी उदासीनता के कारण छात्र/छात्राओं के आवेदन को सत्यापित नहीं किया जाता है।

उन्होंने कहा कि अगर अभिभावक या सामाजिक कार्यकर्ता कुछ पहल करते हैं तो अंतिम समय में जिला नोडल पदाधिकारी कार्यालय द्वारा छात्रों के आवेदन में त्रुटि लगाकर रोक दिया जाता है। जिसके कारण अधिकतर छात्र सफर करते हैं और छात्रवृति पाने से वंचित रह जाते हैं।

यूएमएल महासचिव ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र/छात्राओं ने सत्र 2020-21 प्री-मैट्रिक में एक लाख ब्यालिस हजार चार सौ उन्तीस (142429) फ्रेश और पैंतीस हजार पाँच सौ तिहत्तर (35573) रिन्युवल, कुल एक लाख अठहत्तर हजार दो छात्रों ने आवेदन दिया, जिसमें दस हजार दो सौ तिरसठ (10263) फ्रेश व तीन हजार नौ सौ बिरासी (3982) रिन्युवल, कुल चौदह हजार दो सौ पैंतालीस (14245) छात्रों को ही छात्रवृति का लाभ मिल पाया।

जबकि केंद्र सरकार द्वारा प्री-मैट्रिक में झारखंड के 80925 छात्रों को छात्रवृति देने का लक्ष्य रखा गया था। वहीं पोस्ट-मैट्रिक 2020-21 में बाईस हजार पाँच सौ दो (22502) फ्रेश व पाँच हजार चार सौ पचास (5450) रिन्युवल, कुल सताईस हजार नौ सौ बावन (27952) छात्रों ने छात्रवृति के लिए आवेदन दिया था।

जिसमें चार हजार तीन सौ दस (4310) फ्रेश व एक हजार पाँच सौ ब्यालिस (1542) रिन्युवल, कुल पाँच हजार आठ सौ तिरपन (5853) छात्रों को ही छात्रवृति का लाभ मिल पाया। वहीं मेरिट-कम-मिन्स 2020-21 की बात करें, तो फ्रेश और रिन्युवल मिलकर कुल चार हजार तीन सौ उनासी (4379) छात्रों ने आवेदन दिया था। जिसमें मात्र दो सौ उन्तीस (229) स्टूडेंट्स के आवेदन को ही सत्यापित किया गया।

अफजल अनीस ने बताया कि अल्पसंख्यक समुदाय की प्रतिभाशाली छात्राओं के लिए चलाई जा रही “बेगम हजरत महल राष्ट्रीय छात्रवृति” योजना इस वर्ष सत्र 2021-22 से राज्यों के अधीन संचालित किया गया है।

अब छात्राओं के आवेदन को जिला नोडल पदाधिकारी द्वारा सत्यापित करने के बाद ही छात्राओं को छात्रवृति का लाभ मिलेगा, परंतु देखा यह गया है कि अधिकतर जिला नोडल पदाधिकारी के कार्यालय द्वारा छात्राओं के आवेदन को अंतिम समय में त्रुटि लगाकर रोक दिया गया है।

कई छात्राओं के आवेदन को यह कहकर रोक दिया गया कि उसने डोमिसाईल प्रमाण पत्र अपलोड नहीं की है, जबकि बेगम हजरत महल राष्ट्रीय छात्रवृति पोर्टल में जारी दिशा निर्देश में कहीं भी डोमिसाईल अपलोड करने का कोई उल्लेख नहीं है।

उन्होंने कहा कि कई ऐसी छात्राएँ हैं जिन्होंने अपने सारे कागजात अपलोड किए हैं, उसके बाद भी यह कहकर कि आपने कागजात अपलोड नहीं किया है उनके आवेदन को डिफ़ेक्टिव में डाल दिया गया है।

मिल्ली फोरम महासचिव के अनुसार जिला नोडल पदाधिकारी द्वारा प्री-मैट्रिक,पोस्ट-मैट्रिक व मेरिट-कम-मिन्स के हजारों छात्रों के आवेदन को इसलिए डिफ़ेक्टिव में डाल दिया गया है, कि छात्रों के आवेदन की जांच रिपोर्ट जिला नोडल पदाधिकारी के कार्यालय में नहीं आई है।

सवाल उठता है कि किसकी ज़िम्मेदारी थी कि समय रहते छात्रों के आवेदन की जांच रिपोर्ट जिला नोडल पदाधिकारी के कार्यालय में जमा कराते? कौन पदाधिकारी इसके लिए जवाबदेह है।

इस हालात में झारखंड के अल्पसंख्यक समुदाय के हजारों छात्र/छात्राएँ जो सत्र 2021-22 में छात्रवृति पाने हेतु आवेदन दिया है, फिर से अपने आप को ठगा महसूस करेंगे। उन्होंने कहा कि इस बार भी विभागीय लापरवाही और सरकारी उदासीनता के कारण इन छात्रों को छात्रवृति का लाभ नहीं मिल पाएगा।

उन्होंने झारखंड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Jharkhand Chief minister Hemant Soren) व अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफ़िजूल हसन से अनुरोध किया है कि झारखंड के अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र/छात्राएं जो छात्रवृति पाने का अहर्ता रखते हैं, उनको छात्रवृति का लाभ मिल पाये। इसकी पहल करें। और जो भी पदाधिकारी छात्रों के छात्रवृति पाने में अवरोध उत्पन्न कर रहे हैं उसकी जांच कराकर उचित कार्रवाई करें।

 

 184 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *