समाज निर्माण के लिए भाइयों के बीच प्रेम होना जरूरी-अच्युतानंद

प्रहरी संवाददाता/पेटरवार (बोकारो)। पेटरवार प्रखंड के हद में अंगवाली गांव के धर्म संस्थान मैथान टुंगरी में आयोजित रामचरित मानस नवाह पारायण महायज्ञ के पंचम रात्रि 3 अप्रैल को प्रवचन के दौरान वाराणसी से पधारे मानस मार्तंड अच्युतानंद महराज ने भरत चरित्र प्रसंग की व्याख्या की।

प्रवचन के क्रम में अच्युतानंद महराज ने कहा कि रामायण में भ्राता भरत का प्रभु श्रीराम के प्रति स्नेह व प्रेम की प्रगाढ़ता आज के समाज के लिए वास्तव में प्रेरणा स्रोत है। उन्होंने कहा कि भातृत्व प्रेम को दिग्दर्शित करते हुए भरत भारद्वाज मुनि के आश्रम में उदास व मलिन चेहरा लिए पहुंचे। ऐसी स्थिति को देख मुनि भारद्वाज ने उनसे पूछ ही लिया कि रात में नींद, दिन में भूख नहीं लगने का कारण माता की करनी, पिता का स्वर्गवास परलोक बिगड़ जाने की आशंका आदि तो नही?

मानस मार्तंड अच्युतानंद ने प्रसंग को स्पष्ट करते हुए कहा कि इतना सुन भ्राता भरत की आंखों में आंसू आ गए और दोनों हांथ जोड़कर मुनि से कहने लगे कि इन बातों से मुझे विचलित न करें प्रभु। मेरे ह्रदय में सिर्फ भैया श्रीराम के चौदह वर्षों तक बनवास की ब्याथा समाई हुई है। मानस मार्तंड ने कहा कि आज भाई के प्रति भाई का स्नेह व प्रेम टूटता जा रहा है। यह भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है।

बेहतर समाज निर्माण में भाइयों के बीच स्नेह व प्रेम अति जरूरी है। इस लिए रामचरित मानस के इस प्रसंग से मानव समाज को सीख लेनी चाहिए। बता दें कि, इस प्रसंग पर सारगर्भित प्रवचन सुन महिला, पुरुष श्रोता दीर्घा में खचाखच बैठे सभी श्रद्धालु भावविभोर हो उठे। इस अवसर पर अयोध्या नगरी की साध्वी लक्ष्मी रामायणी एवं व्यास अनिल पाठक अपने सहयोगियों के साथ वाद्य यंत्रों के ताल पर मधुर संगीत प्रस्तुत किए।

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