राष्ट्रपति के नाम बीडीओ को 10 सूत्री मांग पत्र सुपुर्द किया गया

प्रहरी संवाददाता/जैनामोड़ (बोकारो)। आदिवासी सेंगेल अभियान की तरफ से बोकारो जोनल संजोजक आनन्द टुडू के नेतृत्व में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम बीडीओ के मार्फत प्रखंड विकास पदाधिकारी नवाडीह संजय सांडिल्य को 10 सूत्री मांग पत्र सुपुर्द किया गया।

बीडीओ को सौंपे गये ज्ञापन में कहा गया है कि, प्रकृति पूजक आदिवासियों के लिए 2023 में हर हाल में सरना धर्म कोड को लागू किया जाय। झारखंड के गिरिडीह जिला में स्थित मरांग बुरु (पारसनाथ पहाड़) आदिवासियों का ईश्वर है।

अतः इसको जैनों की कैद से अविलम्ब मुक्त किया जाय। झारखंड में प्रखंडवार नियोजन नीति लागू किया जाय। सभी सरकारी नौकरियों का 90 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों को आवंटित किया जाए और प्रखंडवार कोटा बनाकर केवल उसी प्रखंड के आवेदकों से भरा जाए। इसमे खतियान की जरूरत नहीं है। स्थानीयता, आरक्षण और नियोजन नीति इसमें स्वत: समाहित हो जाएंगे। नीतियों के इंतजार में नियोजन लंबित नहीं होगा।

ज्ञापन में कहा गया कि लूट, झूठ, भ्रष्टाचार और वादाखिलाफी में रिकॉर्ड बनाने वाली अक्षम- असहाय हेमंत सरकार को राज्यहित और आदिवासी हित में अविलंब बर्खास्त किया जाय। कुर्मी महतो जाति समुदाय को अनुसूचित जनजाति बनाने की अनुशंसा करने वाले मुख्यतः जेएमएम और कांग्रेस का सेंगेल विरोध करता है।

केवल वोट बैंक के लोभ लालच के लिए किसी भी जाति समुदाय को एसटी का दर्जा देना असली आदिवासियों का नरसंहार जैसा है। अतः सेंगेल राजनीतिक लाभ और लालच के लिए कुर्मी महतो या किसी और जाति को एसटी बनाने का विरोध करता है।

आदिवासी स्वशासन व्यवस्था या ट्राईबल सेल्फ रूल सिस्टम में अविलंब जनतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों को समाहित करते हुए आदिवासी गांव समाज में सुधार लाने में सरकारी तंत्र को सहयोग करना जरूरी है। अन्यथा स्वशासन के नाम पर स्वशोषण जारी रहेगा और संविधान, कानून, मानव अधिकारों का उल्लंघन आदिवासी गांव समाज में होता रहेगा।

अतः नशापान, अंधविश्वास, डायन प्रथा, ईर्ष्या द्वेष दूर करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाये। राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त संताली भाषा को अविलंब झारखंड की प्रथम राजभाषा का दर्जा दिया जाए और अन्य प्रमुख आदिवासी भाषाएं मुंडा, कुड़ुख, खड़िया और हो आदि को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करते हुए सबको समृद्ध किया जाए।

राष्ट्रपति के नाम सौंपे ज्ञापन में कहा गया है कि असम- अंडमान आदि प्रदेशों में लगभग 200 साल से ज्यादा समय से रह रहे झारखंडी आदिवासियों को अभिलंब एसटी का दर्जा दिया जाए।

झारखंड में और भारत में आदिवासियों के लिए प्रदत्त संविधान और कानून के सभी प्रावधानों को लेटर एंड स्पिरिट में लागू किया जाए। प्रकृति पूजा धर्म अर्थात सरना धर्म से दूसरे धर्मों को चले गए आदिवासियों का डीलिस्टिंग किया जाए। सनद रहे आदिवासियों की धार्मिक आजादी और सुरक्षा संविधान का मौलिक अधिकार है। जिसकी रक्षा जरूरी है।

ज्ञापन सौंपने के अवसर पर नवाडीह प्रखंड सेंगेल अध्यक्ष करमचंद मुर्मू, प्रखंड संजोजक जागेश्वर मुर्मू, सेंगेल युवा मोर्चा अध्यक्ष हरिनारायण मुर्मू, सेंगेल छात्र मोर्चा अध्यक्ष आनंद सोरेन, मोहन सोरेन, बबलू सोरेन आदि सेंगेल सेना शामिल थे।

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