बिहार में शराबबंदी वरदान या अभिशाप

छह साल में तीन लाख से अधिक मुकदमा दर्ज

गंगोत्री प्रसाद सिंह/हाजीपुर (बिहार)। बिहार में वर्ष 2016 से शराबबन्दी कानून लागू होने के बाद से इस कानून के अंदर बिहार में 3 लाख से ऊपर मामले दर्ज हो चुके हैं।

जिसके अंदर 4 लाख के करीब कानून तोड़ने के आरोपी या तो जेल में हैं, या जमानत पर हैं। इस कानून के अंतर्गत मुकदमो की बोझ की वजह से बिहार की न्यायिक व्यवस्था चरमरा रही है। यह अब बिहार वासियों के लिए वरदान से ज्यादा अभिशाप बनता जा रहा है।

बिहार में शराबबन्दी कानून के कठोर सजा का प्रवधान है। आरोपी को 5 वर्ष से आजीवन कारावास की सजा के प्रावधानों के बाबजूद बिहार में शराब पीनेवाले और धंधा करने वाले नही मान रहे हैं।

गत 2 मार्च को वैशाली जिला मुख्यालय हाजीपुर स्थित व्यवहार न्यायालय के अपर जिला न्यायाधीश सुधाकर पांडेय के न्यायालय द्वारा बिहार शराबबन्दी कानून के अंतर्गत वैशाली जिला के हद में लालगंज प्रखंड के सिरसा वीरन ग्राम निवासी भोला सिंह को 5 वर्ष की कारावास की सजा के साथ 1 लाख रुपये का अर्थ दंड लगाया गया है।

पुलिस के अनुसार भोला सिंह और अनिश सिंह के पास से 31 जुलाई 2019 को पुलिस छापामारी में लगभग 4 हजार लीटर अवैध विदेशी शराब बरामद हुआ था।

इस मामले में दोनों 26 जून 2020 से जेल में बंद हैं। न्यायालय ने इस मामले में अनीश सिंह को साक्ष्य के अभाव में रिहा किया, जबकि भोला सिंह को 5 वर्ष की कारावास और एक लाख का अर्थ दंड लगाया है।

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