स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर किसान नेताओं ने चलाया मेला में जागरूकता अभियान

सोनपुर मेले में 95 वर्ष पूर्व हुई थी किसान सभा की स्थापना

अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। बिहार प्रांतीय किसान सभा के स्थापना दिवस (17 नवंबर) की पूर्व संध्या पर 16 नवंबर को किसान नेताओं ने सारण जिला के हद में सोनपुर मेला में किसानों को जागरुक होने के लिए जागरूकता अभियान चलाया। इसके लिए मेला में आए पशुपालकों व किसानों के बीच पर्चा और पंपलेट भी वितरित किए गए।

जानकारी के अनुसार सोनपुर के गांधी आश्रम में 17 नवम्बर को एक बजे दिन में बिहार राज्य किसान सभा का स्थापना दिवस समारोह का आयोजन किया गया है, जिसे शिक्षक नेता सुरेन्द्र सौरभ, वरिष्ठ किसान नेता रामबाबू सिंह, जयप्रकाश राय, वरिष्ठ शिक्षक नेता चूल्हन सिंह आदि संबोधित करेंगे।

मालुम हो कि, आज से 95 वर्ष पूर्व चर्चित किसान नेता दंडी स्वामी के नाम से चर्चित स्वामी सहजानंद सरस्वती के नेतृत्व में 17 नवम्बर 1929 को इसी सोनपुर मेले में बिहार प्रांतीय किसान सभा की स्थापना की गयी थी। स्थापना दिवस आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ नरेन्द्र राय एवं संयोजक ब्रज किशोर शर्मा के नेतृत्व में स्थापना दिवस समारोह को सफल बनाने और मेला में आए किसानों को जागरुक करने के लिए जन जागरुकता अभियान चलाया गया और उनके बीच पर्चा-पम्पलेट वितरित किया गया।

इन नेताओं ने मेला में जागरुकता अभियान के क्रम में बताया कि किसान सभा की स्थापना का उद्देश्य अंग्रेजी हुकूमत एवं जमींदारों के जोर-जुल्म एवं अत्याचार का विरोध करते हुए उन्हें संगठित करना था। यहीं से यह राज्य व्यापी हुआ और बाद में अखिल भारतीय स्वरूप धारण कर लिया।

नेताओं ने बताया कि जमींदारों के पक्ष में ब्रिटिश सरकार द्वारा बिहार असेम्बली में किसान विरोधी कास्तकारी बिल पास कराने के साजिश के खिलाफ चलाये गये आंदोलनों से डरकर अंग्रेजी सरकार ने किसान विरोधी उक्त कास्तकारी बिल को असेम्बली से वापस ले लिया और लिखा कि बिहार राज्य किसान सभा के विरोध के कारण कास्तकारी बिल को वापस लिया जाता है। यह किसान सभा की पहली ऐतिहासिक जीत थी।

किसान नेताओं ने कहा कि किसान सभा ने कई सफल किसान सभा संगठित किया, जिसमें अमवारी (सीवान), सबलपुर (सारण), नियामतपुर और रेवरा का किसान आन्दोलन काफी चर्चित हुआ। बाद में बिहार राज्य किसान सभा ने जमींदारी प्रथा समाप्त करने का प्रस्ताव पास किया, जिसके दबाव में आकर 1950 में सबसे पहले बिहार में जमींदारी प्रथा समाप्त करने का कानून बना और जमींदारी जोर-जुल्म से किसानों को मुक्ति दिलायी।

कहा गया कि आज नयें रूपों में किसान विरोधी कानून बनाये जा रहे है। बताया गया कि बगैर पूर्व तैयारी के भू-सर्वे किया जा रहा है, जिसमें कई तरह की समस्याएं और अफरा -तफरी टोपो लैन्ड, वासगीत का पर्चा, बटाईदारों का निबंधन बड़े पैमाने पर लम्बित है। किसानो को समर्थन मूल्य नही मिलना कर्ज मुक्ति, पेंशन आदि सवालों को लेकर संघर्ष करने की आवश्यकता है। बिहार राज्य किसान सभा के लिए यह एक चुनौती है।

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