बेरमो कोयलांचल मे खरना के साथ 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरु

एन. के. सिंह/फुसरो (बोकारो)। लोक आस्था के महान पर्व छठ के दूसरे दिन 6 नवंबर को खरना व्रतियों के साथ श्रद्धालुओं ने खरना का प्रसाद ग्रहण किया। इसी के साथ छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास प्रारंभ हो गया।

छठ पर्व का जश्न चारों ओर देखते ही बन रहा है। खरना के दिन शाम को गुड़ का खीर खाने का बड़ा महत्व है। जिसे व्रतियों द्वारा ग्रहण करने के पश्चात बोकारो जिला के हद में बेरमो कोयलांचल में विधायक कुमार जयमंगल सिंह, पूर्व सांसद रवींद्र कुमार पांडेय, ढोरी जीएम रंजय सिन्हा व बीएंडके जीएम के. रामकृष्ण, समाजसेवी डॉ उषा सिंह, बेरमो प्रखंड प्रमुख गिरिजा देवी, श्रमिक नेता महेंद्र कुमार विश्वकर्मा, ट्रांसपोर्टर रिशु पांडेय, भोला सिंह, तरुण सिंह, शक्ति सिंह, मीनू अग्रवाल, सुरेंद्र खेमका, बेरमो चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष आर उनेश, ढ़ोरी क्षेत्र के एसओपी प्रतुल कुमार, पीओ राजीव कुमार सिंह, रंजीत कुमार व शैलेश प्रसाद, सुप्रसिद्ध महिला चिकित्सक डॉक्टर शकुंतला कुमार सहित हजारो गणमान्य जनों ने भी प्रसाद ग्रहण किया।

ज्ञात हो कि 7 नवंबर को अस्तचलगामी भगवान भास्कर को प्रथम अर्घ्य दिया जाएगा। वहीं 8 नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ पर्व पूरा होगा। छठ के दूसरे दिन खरना के दौरान व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रहने के बाद शाम को मिट्टी के बने नए चूल्हे पर आम की लकड़ी की आंच से गाय के दूध में अरवा चावल व् गुड़ डालकर खीर बनाईं। साथ ही पांच तरह के पकवान तैयार कर छठी माई को भोग लगाया गया। इसके बाद इसे भोग लगाकर व्रती प्रसाद के रूप में ग्रहण की।

छठ गीतों से गुंजायमान है क्षेत्र का चौक चौराहा

छठ व्रत के अवसर पर बेरमो कोयलांचल के विभिन्न चौक चौराहों, छठ घाट तथा पूजा समितियों छठ व्रतियों के घरों में छठ मईया के गीत गुंज रहे हैं। जिसमें कांच ही बांस के बहंगीया, बहंगी चलकत जाए.., मारबो रे सुगवा धनुष से.. सहित कई गीतों से क्षेत्र में भक्ति रस घुल रहा है।

छठ पूजा को लेकर फुसरो के बाजार सहित छोटे बड़े बाजारों में फलों की खरीदारी श्रद्धालुओं ने किया। सीसीएल और डीवीसी के अधिकारियों और स्थानीय जन प्रतिनिधियो ने दामोदर नदी तट स्थित छठ घाट का निरीक्षण किया। वे हिंदुस्तान पुल फुसरो भी पहुंचे। यहां उन्होंने कहा कि छठ व्रतियों को किसी तरह की दिक्कत नहीं हो, इसका हमेशा ख्याल रखा जाना चाहिए। उन्होंने छठ घाट की सफाई करने वाली संस्था की तारीफ भी की।

लोक मान्यता के अनुसार छठ पूजा व्रत त्रेता युग से किया जा रहा है। इस व्रत के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं। छठ कथा के अनुसार कहा जाता है कि सबसे पहले त्रेता युग में इस व्रत को सीता मैया ने किया था। जब राम, लक्ष्मण और सीता 14 वर्ष का वनवास पूरा कर लौटे थे, तब उन्होंने छठी मैया का व्रत किया था। ऐसे ही लोक कथा के अनुसार कहा जाता है कि द्वापद युग में जब पांडव अपना सारा राजपाठ जुए में हार गए थे तब द्रौपदी ने छठ का व्रत किया था। तब उनकी मनोकामना पूरी हुई थी। तभी से ये व्रत करने की परंपरा चली आ रही है।

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