साहित्यकार मानपुरी की पुस्तक महानारी कैकेयी और वनवासी राम का लोकार्पण

कैकेयी के वनवास को चुनौती के रुप में नहीं लेते तो विश्व को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम नहीं मिलता-तृप्तिनाथ सिंह

प्रहरी संवाददाता/सारण (बिहार)। सारण जिला के हद में सोनपुर स्थित कविता स्मृति अगस्त क्रांति संग्रहालय में 20 अक्टूबर को हरिहरक्षेत्र विचार उत्सव के अवसर पर पत्रकार सुरेन्द्र मानपुरी की पुस्तक महानारी कैकेयी और वनवासी राम का लोकार्पण किया गया।

इस अवसर पर श्रीरामकथा मर्मज्ञ राम सुन्दर दास महिला महाविद्यालय के सचिव तृप्तिनाथ सिंह ने कहा कि श्रीराम ने कैकेयी के 14 वर्ष के वनवास को चुनौती के रुप में नहीं लिया होता तो वे अयोध्या के राजा तो कहलाते, परन्तु विश्व को कभी मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम नहीं मिल पाता।

पुस्तक लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ शिक्षाविद कपिलदेव सिंह ने की, जबकि संचालन वरिष्ठ साहित्यकार सुरेन्द्र मानपुरी कर रहे थे। इस मौके पर सारण एवं वैशाली जिले से आए आगत अतिथियों का अंग वस्त्र से सम्मान किया गया।

सर्वप्रथम मंच पर आसीन बिहार के वरिष्ठ पत्रकार और भाषाविद रविन्द्र कुमार, गीतकार सीताराम सिंह, कृषि क्षेत्र में प्रधानमंत्री से पुरस्कृत किसान जितेन्द्र कुमार सिंह, पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता महेन्द्र प्रताप सिंह आदि ने पत्रकार सुरेन्द्र मानपुरी की पुस्तक महानारी कैकेयी और वनवासी राम का लोकार्पण किया।

समारोह को संबोधित करते हुए समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार एवं भाषा विज्ञानी रविन्द्र कुमार ने वाल्मीकि रामायण को सभी रामायणों का आधार ग्रंथ बताते हुए देश में स्थित विभिन्न रामायणों का जिक्र करते हुए उसमें आए विभिन्न प्रसंगों का वर्णन किया। उन्होंने पुराणों में वर्णित श्रीराम आख्यान प्रसंगों का भी वर्णन किया। तत्पश्चात महानारी कैकयी और वनवासी राम पर अपने प्रसंग में कहा कि रामायण का विच्छेद करें तो राम+अयण यानि राम का पर्यटन।

राम ने चौदह वर्ष तक पर्यटन किया और कैकयी यही तो चाहती थी कि जो राक्षस दक्षिण में बच गए हैं उसका राम के हाथों ही अंत हो जाए। वही हुआ भी। कैकयी की योजना सफल हुई। श्रीराम के हाथों रावण सहित सभी राक्षसों का उन्मूलन हो गया। उन्होंने कहा कि राम को किसी ने महानायक बनाया तो सौ प्रतिशत कहा जा सकता है कि वह कैकेयी थी। नहीं तो राम महज अयोध्या के राजा बनकर रह जाते।

बनवास काल में राम ने भीलनी सबरी का जूठा बैर खाया। केवट को गले लगाया। भालू, बंदर, रीछ को अपनाया। गीतकार सीताराम सिंह ने पुस्तक पर चर्चा करते हुए कहा कि लेखक सुरेन्द्र मानपुरी में एक पत्रकार और साहित्यकार का अदभुत गंठजोड़ दिखाई पड़ता है। उन्होंने कहा कि पहले भी शूर्पणखा, रत्नावली आदि उपेक्षित नारियों पर लिखा गया है।कैकेयी पर लिखी गई यह पुस्तक अपने आप में पठनीय है। यहां अधिवक्ता राज किशोर ठाकुर ने भी पुस्तक एवं उसके विषय वस्तु पर विस्तृत प्रकाश डाला।

इस अवसर पर वैशाली जिला मुख्यालय हाजीपुर न्यायालय के विशेष लोक अभियोजक सुमित कुमार, वरीय अधिवक्ता विनय चंद्र झा, उमेश कुमार सिंह, हरिकृष्ण झा, राकेश कुमार, सुरेश कुमार, अधिवक्ता राजकुमार दिवाकर, अधिवक्ता मुकेश रंजन, साहित्यकार सारंगधर सिंह, रामविनोद सिंह, जितेन्द्र सिंह, पेंशनर समाज के सुरेश प्रसाद, आदि।

नानक शाही, गुरुद्वारा लालगंज के सचिव प्रदीप कुमार, राजा केसरी, साहित्यकार सुनील शर्मा, दरियापुर के गीतकार अरविंद अनुज, हाजीपुर चकवारा के राष्ट्रपति से सम्मानित किसान संजीव कुमार की उपस्थिति रही। अंत में धन्यवाद ज्ञापन वैशाली के ख्याति प्राप्त किसान जितेन्द्र कुमार सिंह ने किया।

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