सिद्धार्थ पांडेय/चाईबासा (पश्चिम सिंहभूम)। पश्चिम सिंहभूम जिला के हद में पोटेता पंचायत का अत्यंत नक्सल प्रभावित गांव बुरुराईका एवं बेडा़राईका में डीएमएफटी फंड से निर्मित व् निर्माणाधीन पेयजल आपूर्ति योजना शत फीसदी फेल है। पेयजल योजना फेल होने की वजह से दोनों गांवों के विभिन्न टोला के ग्रामीणों में भारी आक्रोश है।
इस संबंध में उपरोक्त गांव के ग्रामीण रहिवासियों ने 18 अगस्त को कहा कि पूरी योजना में व्याप्त भारी भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जाँच सक्षम अधिकारी धरातल पर आकर करें एवं दोषी संवेदकों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही कर इस योजना हेतु स्वीकृत राशी का भुगतान रोके। कहा गया कि पुनः बेहतर तरीके से योजना को पूर्ण कराकर घर घर पेयजल आपूर्ति बहाल कराये।
रहिवासियों द्वारा बताया गया कि प्रभावित उपरोक्त दोनों गांवों की आबादी लगभग 5 हजार है जो पेयजल योजना से प्रभावित हैं। बताया गया कि इस योजना को प्रारम्भ हुये लगभग डेढ़-दो साल हो गये। 8 हजार लीटर क्षमता वाला जलमीनार से 35 घरों में कनेक्शन देना था, लेकिन मात्र 20 घरों को जलापूर्ति कनेक्शन दिया गया।
इसी तरह 5 हजार लीटर क्षमता वाला सिंटेक्स युक्त जलमीनार से बाकी घरों में पेयजल आपूर्ति करना है। दोनों गांवों में बर्तमान समय में दो-दो जलमीनार बनाया गया है, लेकिन किसी में सोलर, मोटर आदि नहीं है तो कहीं पाईप लाईन नहीं बिछाया गया है। चारों जलमीनार से पेयजल आपूर्ति नहीं हो रही है।
कहा गया कि सरकार लाखों रूपये खर्च कर दी, लेकिन हम ग्रामीणों को पानी तक नहीं मिल रहा है। ग्रामीणों ने कहा कि हमारे गांवों को सरकार व पुलिस-प्रशासन घोर नक्सल प्रभावित गांवों की श्रेणी में डाल रखी है। ऐसे गांवों का सर्वागीण विकास कर ग्रामीणों व भटके युवाओं को मुख्यधारा में वापस लाने की बात कहती है। ऐसा विकास जब गांवों में होगा तो ग्रामीण किस पर भरोसा करेंगे।
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