35.11 करोड़ के नकली GST- ITC का भंडाफोड़

पकड़ा गया सरकार को करोड़ो का चूना लगाने वाला

प्रहरी संवाददाता/मुंबई। जीएसटी इंटेलिजेंस (GST Intelligence) महानिदेशालय (डीजीजीआई-एमजेडयू) की मुंबई जोनल यूनिट (Mumbai Zonal Unit) ने शनिवार, 2 जुलाई 2022 को मेसर्स के निदेशक अमनपुनीत सिंह कोहली को गिरफ्तार किया।

इम्मेंसा मल्टीवेंचर्स प्रा लिमिटेड और छह अन्य कंपनियां सीजीएसटी अधिनियम, 2017 के प्रावधानों के तहत डीजीजीआई-एमजेडयू के अनुसार, कोहली कई अन्य फर्मों के पीछे प्रमुख और मास्टरमाइंड हैं, जिन्हें उन्होंने डमी प्रोपराइटरों के माध्यम से संचालित किया है।

कोहली को इन फर्मों के लिए माल या सेवाओं की वास्तविक प्राप्ति या आपूर्ति के बिना प्राप्त चालानों के आधार पर धोखाधड़ी से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ उठाने और उपयोग करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

प्राप्त जानकारी के अनुसार डीजीजीआई-एमजेडयू द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, ‘जांच के दौरान एकत्र किए गए व्यापक दस्तावेजी सबूतों के आधार से यह पता लगाया गया कि अमनपुनीत सिंह कोहली उक्त धोखाधड़ी के पीछे प्रमुख मास्टरमाइंड थे, और इन 14 कंपनियों, फर्मों के साथ शुरू किया था।

अपात्र इनपुट टैक्स क्रेडिट का कपटपूर्वक लाभ उठाने का एकमात्र इरादा मामले में अपनाई गई कार्यप्रणाली दिल्ली और मुंबई में स्थित शेल कंपनियों से उनके द्वारा संचालित 14 फर्मों के नाम पर फर्जी चालान प्राप्त करना और ऐसे चालानों के आधार पर अयोग्य इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाना था। कोहली ने कथित रूप से अपात्र आईटीसी को अपनी 14 फर्मों में लगभग 35.11 करोड़ जमा किया है।

14 कंपनियों के मालिक को एक साल की सजा

बयान में आगे लिखा गया है, अमनपुनीत सिंह कोहली माल के निर्यात का दावा करके इस आईटीसी को और भुनाएंगे, और उसके बाद आईजीएसटी रिफंड (IGST Refund)) प्राप्त करेंगे। कोहली द्वारा प्राप्त आईजीएसटी रिफंड राशि की लगभग 17.09 करोड़ है।

डीजीजीआई-एमजेडयू के अनुसार जांच के दौरान, कोहली ने पूरी तरह से असहयोगी रवैया अपनाया था, और उन्हें कई समन जारी किए जाने के बावजूद जांच अधिकारियों के सामने खुद को पेश नहीं हुए। बाद की जांच में यह भी पता चला कि कोहली अपने ज्ञात पते से फरार हो गए थे और उनका पता नहीं चल रहा था।

अंतर-एजेंसी सहयोग और समन्वय और लगातार प्रयासों के कारण उसे खोजा और पकड़ा जा सका। अमनपुनीत सिंह कोहली को कोफेपोसा अधिनियम, 1974 के तहत एक साल के लिए हिरासत में लिया गया है और अन्य एजेंसियों की भी जांच की जा रही है।इस मामले में डीजीजीआई-एमजेडयू द्वारा आगे की जांच अभी जारी है।

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