महापारना महाप्रतिष्ठा का आयोजन जैन समाज के लिए खास संदेश-स्वामी रामदेव
ममता सिन्हा-तेनुघाट (बोकारो)। गिरिडीह जिला के हद में मधुबन स्थित सम्मेद शिखर आठ दिनों तक चलने वाले महापारना महाप्रतिष्ठा के पहले दिन ही कई हस्तियों का आगमन हुआ।
जैन मुनि प्रसन्न सागर जी महाराज के साथ केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला और स्वामी रामदेव जी महाराज ने मंच साझा किया। मंच से ही जैन मुनि प्रसन्न सागर और योग गुरु स्वामी रामदेव ने कई ऐसे बाते कही। जिसे सुनकर जैन समाज के भक्तो की भीड़ भी उत्साहित हुई।
इस अवसर पर जैन मुनि प्रसन्न सागर जी महाराज ने कहा की 557 दिनो का तप उन्होंने खुद को निखारने के लिए किया, न कि इतने बड़े आयोजन के लिए। उन्होंने कहा की दुनिया में पैसे का मोह हर व्यक्ति में बढ़ता जा रहा है। ये सही नही है। पैसे के लिए समाज को जो नुक्सान हो रहा है, आखिर उसकी भरपाई कौन करने वाला है।
मुनि प्रसन्न सागर ने कहा कि इस दुनिया में तीन लोग बेहद सुखी है। पहला वो जो मां के गर्भ है, दूसरा वो जिनकी मृत्यु हो चुका है और तीसरा वो जिन्हे हम जानते नही।
अपने गूढ़ ज्ञान से अपने हजारों भक्तो को रूबरू कराते हुए मुनि प्रसन्न सागर ने कहा कि पाप और पुण्य के पीछे परेशान होने की जरूरत नही हैं, क्योंकि दोनो ही सिर्फ छलावा है और कुछ नही। महत्पूर्ण वो है जिसे हम समाजहित में करते जा रहे है।
मंच से अपने हजारों अनुयायियों के बीच योग गुरु स्वामी रामदेव ने कहा कि सम्मेद शिखर की धरा 20 तीर्थंकर का निर्वाण भूमि कहलाता है। इसका महत्व ऐसे ही बढ़ जाता है। योग गुरु ने कहा की 557 दिन का मौन और एकांत के साथ उपवास बेहद मायने रखता है। वो आज जब इस तपोभूमि में शामिल होने आए है। यह उनके लिए उतना ही मायने रखता है।
इधर आयोजन स्थल में कई और विद्वान शामिल हुए। आयोजन समिति के सदस्यो ने जैन मुनि प्रसन्न सागर जी महाराज के लिए कई विधान संपन्न किए।
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