केवट समुदाय को आदिवासी का दर्जा देने को ले केंद्रीय मंत्री को पत्र लिखा

प्रहरी संवाददाता/पेटरवार (बोकारो)। वरीय झामुमो (JMM) नेता काशीनाथ केवट ने 9 फरवरी को केंद्र के जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा को पत्र प्रेषित कर केवट समुदाय को आदिवासी का दर्जा देने की माँग की है।

केंद्रीय मंत्री को प्रेषित पत्र में केवट ने कहा है कि बीते 7 फरवरी को राज्यसभा में अनुसूचित जनजातीय में दस समुदाय को शामिल किये जाने का बील पेश किया गया है। जिसमें केवट समुदाय को शामिल नहीं करने पर नाराजगी जाहिर किया है। पत्र में उन्होंने कहा है कि केवट जाति भारतवर्ष की मूल एवं प्राचीनतम जातियों में से एक हैं।

रामायण काल में केवट की अपनी अलग सत्ता एवं संस्कृति स्थापित रही है। केवट एक जाति नहीं बल्कि चारों वर्ण से अलग पंचम वर्ण के नाम से जाना जाता था। श्रृंगी ऋषि, जिन्होने राजा दशरथ को पुत्र कामेश्ठी यज्ञ कराया था।

जिसके नाम से यूपी (UP) में श्रृंगबेरपुर धाम के नाम से जाना जाता है। केवट ने इसी स्थान पर भगवान को गंगा पार कराया था। आदि कवि महर्षि बाल्मीकि, विश्व गुरू महर्षि वेद व्यास, भक्त प्रह्लाद और रामराज्य के प्रथम नागरिक केवट तथा रामसखा गुहराज निषाद, वीर एकलव्य, महर्षि वेदव्यास जैसे महान आत्माओं ने इस जाति को सुशोभित औऱ गौरवांवित किया है।

झामुमो नेता केवट ने कहा है कि स्वतंत्रता आन्दोलन (Freedom movement) में भी इस समुदाय के शूरवीरों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और बड़ी बड़ी कुर्बानियां दी। आज इस समुदाय के समक्ष अस्तित्व बचाने का सवाल उठ खड़ा हुआ है। उन्होने कहा कि केवट समुदाय को आदिवासी होने का और क्या प्रमाण हो सकता है।

केवट समुदाय का अनेकों पर्यायवाची उपनाम है़ या कई नामों से जाने जाते हैं। इनमे क्रमशः केवट, माझी, कैवर्त, मल्लाह, निषाद, धीवर, कापरी, बिंद, साहनी, राजभर, धीमर, बाथम आदि पर्यायवाची सरनेम है। उन्होने कहा कि केवट शब्द देश व विश्व में किसी परिचय का मुंहताज नहीं है, बल्कि बेद ग्रंथों व रामायण-महाभारत में प्रमुखता से पूर्व से वर्णित है़।

 467 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *