बहुचर्चित मां काली की पूजा प्रारंभ, रात में की गई पूजा अर्चना

धीरज शर्मा/विष्णुगढ़ (हजारीबाग)। विष्णुगढ़ प्रखंड के हद में बेड़ा हरियारा पंचायत के ग्राम रमुआ के पेठियाटांड में वर्षों से चली आ रही पूजा अभी तक माघ मास की पूजा कायम है।

यह पूजा अट्ठारह सौ ईसवी सदी से चली आ रही है। पूजा की शुरुआत सिन्हा परिवार के बुजुर्गों द्वारा किया गया था। उस वक्त श्रद्धालु भक्त खुट्टा में पूजा किया करते थे। फिर धीरे-धीरे खपरैल का मकान बनाकर श्रद्धालु भक्त पूजा करने लगे।

जानकारी के अनुसार बीते कुछ वर्षों के बाद छत का मंदिर बनाया गया। जैसे-जैसे आस्था बढ़ते गया, भीड़ और भक्त बढ़ते गए। मां काली मंदिर की आस्था इस कदर बढ़ गई है कि मुस्लिम समुदाय के लोग भी मंगलवार और शनिवार को पूजा करने मंदिर आने लगे हैं।

धीरे धीरे और भव्य निर्माण को लेकर मंदिर का दो वर्षों से कार्य जारी है। रहिवासियों का मानना है कि जो भी मुरादे सच्ची श्रद्धा अराधना कर मां से मांगी जाती है वह पूरा होने के बाद मां के द्वार पूजा के लिए श्रद्धालु मां काली के मंदिर में आते हैं और आशीर्वाद पाते हैं। हर वर्ष श्रद्धालु भक्तों की भीड़ उमड़ती जा रही है।

मां काली की पूजा माघ मास की अमावस्या तिथि की मध्य रात्रि से आरंभ किया जाता है। जो सोमवार की मध्य रात्रि पाठा बली से पूजा की शुरुआत की गयी। समापन दिन बुधवार को पूजा संपन्न होने के बाद समापन होगी।

इस पूजा में हजारों हजार की संख्या में गांव के अतिरिक्त शहरों व अलग-अलग राज्यों से श्रद्धालु माँ काली पूजा में शामिल हो कर मां से मुरादे मागते हैं और आशीर्वाद पाते हैं। पूजा को लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है। मंदिर कमिटी के अनुसार पूजा के दौरान कोरोना गाइडलाइन का पुरी तरह से पालन किया जाएगा।

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