चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कर्मी का मनोबल ऊँचा रखे-डीडीसी
एस. पी. सक्सेना/बोकारो। हीमोफीलिया के नये दवा के माध्यम से इसके मरीजों के इलाज की नई तकनीक से अवगत कराने हेतु निरंतर चिकित्सा शिक्षा विषय पर 9 सितंबर को कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह आयोजन बोकारो सदर अस्पताल सभागार में बोकारो के उप विकास आयुक्त (डीडीसी) की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई।
जानकारी के अनुसार बोकारो जिला में हीमोफीलिया के नये दवा के माध्यम से इसके मरीजों के इलाज की नई तकनीक से अवगत कराने हेतु सीएमई विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।कार्यशाला की शुरुआत मुख्य अतिथि द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।
मौके पर सिविल सर्जन, सदर अस्पताल के उपाधीक्षक, रिम्स रांची के प्रोफेसर डॉक्टर मिनी रानी अखोरी, सहायक प्राध्यापक डॉ साकेत वर्मा एवं संतोष जयसवाल, जिला के आईएएम/आईएपी के चिकित्सकगण, जिला स्तरीय चिकित्सा पदाधिकारी, स्वास्थ्य कर्मी सहित अन्य डॉक्टर उपस्थित थे।
कार्याशाला में बताया गया कि हीमोफीलिया के लिए नये उपचारों में जीन थेरेपी शामिल है, जो एक बार का उपचार है। यह कई वर्षों तक कारक स्तर को बढ़ा सकता है और इससे क्लॉटिंग कारक सांद्रता (सीएफसी) प्रतिस्थापन चिकित्सा की आवश्यकता को कम या समाप्त किया जा सकता है।
कार्यशाला में डीडीसी ने कहा कि दिल से रोगी की सेवा के लिए चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कर्मी का मनोबल ऊँचा रखे एवं चिकित्सक को रोगी के कल्याण को ध्यान में कार्य करने का उन्होंने निर्देश दिया।
सिविल सर्जन ने बताया कि हीमोफीलिया रोगी का इलाज सम्भव नहीं है, परन्तु इस बीमारी को दवा से नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि हीमोफीलिया के रोगियों का रक्त का थक्का नहीं जमने के कारण रक्त का बहाव नियंत्रित नहीं रहता है।
साथ ही बताया कि बोकारो जिले में वर्त्तमान समय मे कुल 23 हीमोफीलिया के रोगी है, जिसका इलाज चल रहा है। कार्यशाला के दौरान रिम्स रांची से आये हीमोफीलिया के विशेषज्ञ चिकित्सको ने भी अपनी-अपनी बातों को विस्तार से बताया।
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