एस. पी. सक्सेना/बोकारो। बोकारो जिला के हद में बेरमो कोयलांचल के विभिन्न कोयला खदान में कोयला उत्खनन तथा ट्रांसपोर्टिंग कार्य में लगी आउटसोर्सिंग कंपनी मजदूरों का जमकर शोषण करने में लगी है। ऐसा केवल हम नहीं, बल्कि यहां का एक एक जर्रा जर्रा व् शोषण के शिकार मजदूरों का कहना है।
कार्यरत मजदूरों द्वारा बताया गया कि बड़ी-बड़ी आउटसोर्सिंग कंपनियां जब बेरमो कोयलांचल में पदार्पण कर रही थी, तब उन्हें अपनी बेरोजगारी दूर करने का एक आशा की इसकी किरण जगी। ऐसे में काफी भाग दौड़ के बाद उन्हें आउटसोर्सिंग कंपनी द्वारा काम पर तो रखा गया, परंतु यह क्या? बताया गया था कि उक्त आउटसोर्सिंग कंपनी उन्हें रहने, खाने की सुविधा देगी। साथ हीं आकर्षक मासिक वेतन का लाभ देने की बात कही गई थी। लेकिन आज वे स्वयं को ठगा महसूस कर रहे हैं।
तकनीकी तौर पर मजबूत आउटसोर्सिंग कंपनी में कार्यरत मजदूर को महज 10 से 15 हजार रुपए मासिक पर खटाया जा रहा है। जबकि सेम काम के बदले सीसीएल द्वारा विभागीय मजदूरों को 60 से एक लाख तक का मासिक वेतन दिया जाता है। वह भी 26 दिन के कार्यदिवस के बदले।
यहां यह बताना जरूरी है कि आउटसोर्सिंग कंपनी मजदूरों से 12 घंटा काम कराती है तो सीसीएल मात्र 8 घंटे तथा 26 दिन की उपस्थिति पर वेतन भुगतान देती है।
ज्ञात हो कि बेरमो कोयलांचल में आउटसोर्सिंग के तीन कोयला प्रक्षेत्र यथा ढोरी, बीएंडके तथा कथारा क्षेत्र में दर्जनों कोयला खदान संचालित है, जहां आउटसोर्सिंग कंपनी दूध से मक्खन बटोरकर मट्ठे का पानी मजदूरों को परोस रही है।
यहां मुख्य रूप से आउटसोर्सिंग कंपनीयों में बीकेबी. बीएलए (आरए माइनिंग), एनईपीएल, राधाकृष्ण, हिंदुस्तान आउटसोर्सिंग कंपनी काम कर रही है। उक्त कंपनी सीसीएल प्रबंधन से कामगारो के एवज में मोटी रकम वसूलती है, जबकि मजदूरों के पल्ले चंद सिक्के खनकते हैं। यदि इस पर गौर ही नहीं किया गया तो भविष्य के लिए यह घातक साबित होगा।
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