जच्चा, बच्चा चंदवा सीएचसी में ईलाजरत, दोनों सुरक्षित
लाखों रुपए का राजस्व देने वाली टोरी जंक्शन में यात्री सुविधाओं का घोर अभाव-खान
एस. पी. सक्सेना/लातेहार (झारखंड)। लातेहार जिला के हद में चंदवा प्रखंड के टोरी जंक्शन रेलवे स्टेशन के बाहर सड़क किनारे 24 अगस्त के अहले सुबह लगभग रात्रि साढे तीन बजे एक गर्भवती महिला ने बच्चे को जन्म दिया।
बच्चे के जन्म के बाद चंदवा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ नीलीमा कुमारी को इस संबंध में किसी ने फोन पर जानकारी दी। उन्होंने त्वरित कार्रवाई करते हुए 108 एम्बुलेंस साथ मे एक एएनएम मेरी टोपनो और स्लीपर एतवरिया देवी को टोरी स्टेशन भेजकर महिला और उसके नवजात बच्चे को मंगवाकर ईलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया।
जहां जच्चा और बच्चा दोनों ईलाजरत है। दोनों सुरक्षित भी हैं।
इस संबंध में चंदवा अस्पताल के एएनएम मेरी टोपनो व स्लीपर एतवरिया देवी ने बताया कि हम दोनों 108 एम्बुलेंस से टोरी स्टेशन गए थे। महिला का प्रसव स्टेशन के बाहर हो चुका था। जच्चा बच्चा को लेकर अस्पताल आकर भर्ती कर दिया है।
इस संबंध में प्रसुता बसंती देवी ने बताया कि स्टेशन पर किसी ने भी उसकी कोई मदद नहीं की। किसी ने उसका हांथ तक नहीं पकड़ा। सूचना पाकर सामाजिक कार्यकर्ता एवं कामता पंचायत समिति सदस्य अयुब खान, राज्यसभा सांसद प्रतिनिधि असगर खान ने अस्पताल में महिला से मिलकर स्थिति की जानकारी ली।
इस संबंध में पंसस खान ने कहा कि इस घटनाक्रम से रेलवे विभाग और टोरी स्टेशन की स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खुल गई है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य से संबंधित परेशानी होने की स्थिति में रेलवे की ओर से विशेष इंतजाम किए जाने का प्रावधान है।
मरीजों को तत्काल आपात चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराया जाना है। इसके लिए रेल प्रशासन की ओर से स्टेशन पर हेल्थ टीम और डॉक्टर की व्यवस्था रहती है। इस घटना ने रेलवे की स्वास्थ्य व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
खान ने कहा कि रेलवे विभाग द्वारा स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर कई दावे किए जाते हैं, लेकिन इस प्रसव की घटना ने रेल प्रशासन की स्वास्थ्य व्यवस्था को जगजाहिर कर दिया है। उन्होंने कहा कि सबसे अहम मसला यह है कि स्टेशन परिसर में कोई आपात स्थिति यात्री के साथ उत्पन्न होने पर मरीज को तुरंत चिकित्सीय सुविधा नहीं मिल पाएगी।
खान ने आरोप लगाते हुए कहा कि टोरी स्टेशन के बाहर सड़क पर गर्भवती महिला को समय पर रेलवे विभाग की ओर से स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई। उन्होंने कहा कि अगर आप रेलवे के नियमों को देखेंगे तो इसमें कई प्रकार की स्वास्थ्य व्यवस्था उपलब्ध करवाने की बात कही गई है, लेकिन हकीकत इससे कहीं अलग है।
स्टेशन परिसर में किसी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्या होने की स्थिति को लेकर रेलवे प्रशासन की ओर से स्वास्थ्य इंतजामों पर खासा जोर दिया गया है। कहा जाता है कि स्टेशन में किसी भी यात्री को अगर स्वास्थ्य से जुड़ी या कोई आपातकालीन स्थिति बनती है तो रेलवे स्टेशन के अपने डॉक्टर होते हैं। पूरी हेल्थ टीम होती है।
मरीज की खराब स्थिति होने पर मरीज यात्री के लिए स्टेशन पर एंबुलेंस की भी व्यवस्था कराई जाती है। यह सब किताबी नियम बनकर रह गए हैं। टोरी स्टेशन पर ऐसा कुछ होता नहीं दिखा। हकीकत यह है कि टोरी रेलवे स्टेशन पर डॉक्टरों की टीम है ही नहीं।
प्रसुता बसंती देवी (उम्र 25 वर्ष, पति जितवाहन मलार, ग्राम गेतलसुद कांटा टोली रांची) बताती हैं कि रांची स्टेशन से रांची – चौपन एक्सप्रेस ट्रेन पकड़कर अपने सशुराल रांची से मायके बरवाडीह जा रही थी। इसी बीच उसके पेट में हल्का दर्द होने लगा। इसके बाद वह टोरी स्टेशन पर उतर गई। असहनीय दर्द हुई तो वह स्टेशन से बाहर निकल कर सड़क के किनारे आ गई, जहां उन्होंने बच्चे को जन्म दिया। किसी ने कोई मदद नहीं की।
बरकाकाना – बरवाडीह रेल खंड का टोरी जंक्शन राजस्व के मामले में सबसे अव्वल है। यह प्रति माह लाखों रुपए का राजस्व देती है, फिर भी यहां यात्री सुविधाओं का घोर अभाव है। इसे लेकर सामाजिक कार्यकर्ता सह कामता पंचायत समिति सदस्य अयुब खान और राज्यसभा सांसद प्रतिनिधि असगर खान ने टोरी स्टेशन पर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग डीआरएम धनबाद से किया है।
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