मुआवजे की आस में 11 साल बाद महिला की मौत

पुलिस मुखबिरी के आरोप में हुई थी पति की हत्या

विजय कुमार साव/गोमियां (बोकारो)। गोमियां प्रखंड (Gomian block) के हद में नक्सल प्रभावित झुमड़ा निवासी बुधन की पुलिस मुखबिरी के आरोप में हुई हत्या के 11 साल बाद भी नहीं मिला मुआवजा उसकी पत्नी को मुआवजा। मुआवजे की आस में पत्नी भी चल बसी।

जानकारी के अनुसार पचमो पंचायत के झुमरा पहाड़ रहिवासी बुधन मांझी की हत्या वर्ष 2010 में नक्सलियों ने पुलिस मुखबिरी के आरोप में की थी। मृत्यु की घटना के 11 वर्ष बाद भी मृतक की पत्नी पार्वती देवी को मुआवजा नहीं मिला।

इस दौरान मुआवजा के लिए बोकारो से लेकर रांची तक पीड़ित परिवार बाबूओ के ऑफिस में चक्कर काटती रही और वे टहलाते रहे। रहिवासियों के अनुसार मुआवजा के लिए स्थानीय विधायक को भी पत्राचार किया गया, मगर सफलता हाथ नहीं लगी। मुआवजे की आस लिए स्वर्गीय बुधन मांझी की पत्नी भी चल बसी।

बताया जाता है कि स्वर्गीय बुधन मांझी की पत्नी पार्वती देवी टीबी रोग से ग्रसित थी। बीते 26 अगस्त की मध्य रात्रि गोमियां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। मृतक के गोद लिए हुए पुत्र ने बताया कि इलाज के लिए वह अपनी गायों को 9 हजार में बेच दिया।

मिशन हॉस्पिटल में भी इलाज करवाया। तीन दिन पूर्व गोमियां स्वास्थ्य केंद्र भी लाकर डॉक्टर से दिखाया, जहां चिकित्सकों ने दवा देकर घर पर रहने की सलाह दी। तबीयत अचानक बिगड़ जाने के कारण 26 अगस्त को करीब 10 बजे रात्रि दोबारा हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।

मृतक के गोद लिए पुत्र बहादुर मांझी ने रूंधे गले से कहा कि उसने बचाने की बहुत कोशिश की, मगर अपनी बुआ को वह बचा नहीं पाया। शव को झुमरा ले जाने के लिए बहादुर मांझी ने जब प्राइवेट एंबुलेंस से बात की तो 6 हजार की मांग की गई, इतने पैसे देने के लिए वह सक्षम नहीं था।

गोमियां के प्रखंड विकास पदाधिकारी कपिल कुमार को इस बात की जानकारी मिलने पर चिकित्सा प्रभारी डॉ हेलन बारला से बात कर शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस मुहैया करवाया।

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