महात्मा हंसराज शिक्षाविद्, आर्य समाज संस्थापक व् दयानंद के अनुयायी थे-डॉ सिंह
सिद्धार्थ पांडेय/चाईबासा (पश्चिम सिंहभूम)। पश्चिम सिंहभूम जिला के हद में डीएवी पब्लिक स्कूल सेल संबद्ध चिड़िया में 19 अप्रैल को महात्मा हंसराज की जयंती हर्षोल्लास, श्रद्धा एवं सम्मान के साथ मनाई गई।
इस अवसर पर डीएवी चिड़िया के प्राचार्य डॉ शिव नारायाण सिंह की अध्यक्षता में स्कूल के सभी शिक्षकों एवं बच्चों ने श्रद्धा सुमन पुष्प अर्पित कर आर्य समाज के संस्थापक महात्मा हंसराज को याद किया।
स्कूल की छात्रा अन्वेशा मिश्रा एवं आयुष कुमार ने महात्मा हंसराज की जीवन पर विचार प्रस्तुत किया। छात्रा प्रजा महतो एवं अतिसी कुमारी ने कविता पाठ के माध्यम से कार्यक्रम में चार चांद लगा दिया। स्कूल के प्रथम चरण में प्राचार्य डॉ सिंह, वरीय शिक्षक करण सिंह आर्य एवं राकेश मिश्रा के नेतृत्व में स्कूली बच्चों एवं शिक्षकों द्वारा हवन कर जनकल्याण की कामना की गई।संगीत शिक्षक जितेंद्र त्रिवेदी के मंत्र उच्चारण से सारा वातावरण गुञ्जायमान हो उठा। छात्रों पर पुष्प की वर्षा कर प्राचार्य एवं वरीय शिक्षक ने बच्चों के उज्जवल भविष्य की कामना की।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्कूल के प्राचार्य डॉ सिंह ने कहां कि मनुष्य को नकारत्मक सोच को त्याग सदैव उर्जावान विचारों का संचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि महात्मा हंसराज एक भारतीय शिक्षाविद्, आर्य समाज आंदोलन के संस्थापक एवं स्वामी दयानंद के अनुयायी थे। उन्होंने गुरुदत्त विद्यार्थी के साथ मिलकर 1 जून 1886 को अविभाजित भारत के लाहौर (अब पाकिस्तान) में दयानंद एंग्लो-वैदिक स्कूल (डीएवी) की स्थापना की। यहाँ दयानंद की याद में पहला डीएवी स्कूल स्थापित किया गया था। वरीय हिन्दी शिक्षक कर्ण सिंह आर्य ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती की विचारधाराओं और वेदों के माध्यम से आर्य हिंदू धर्म को पुनर्जीवित करने की थी।
मौके पर डीएवी चिड़िया के शिक्षकों में राकेश कुमार मिश्रा, मौसमी दास गुप्ता, समीर प्रधान संतोष कुमार, सुजीत कुमार, एस के पांडेय, मोमिता मजूमदार, सुमित सेनापति, संजू कुमारी, जितेंद्र त्रिवेदी, किशोर झा, तनमोय चटर्जी, अभीष झा,देवाशीष बेहरा, नित्यानंद भकत, सुखेन प्रसाद के साथ साथ शिक्षकेत्तर कमियों मे दीपक सीत, महेंद्र रविदास, गणेश मुखी, बलभद्र बिंधानी एवं दुलारी देवी ख़ासतौर सें उपस्थित थे।
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