प्रहरी संवाददाता/पेटरवार (बोकारो)। पेटरवार प्रखंड के हद में अंगवाली स्थित धर्म-संस्थान मैथानटुंगरी में आयोजित श्रीराम चरित मानस महायज्ञ के आयोजन से पूरे गांव सहित समीपस्थ इलाके में भक्तिमय वातावरण स्थापित हो गया है।
इस अवसर पर गिरिडीह से पधारे आचार्य अनिल पाठक ब्यास ने अपने सहयोगी अमित पाठक, सतीश मिश्र, बलदेव शरण, आनंद पंडित आदि के सानिध्य में प्रातः हनुमान चालीसा सहित दोपहर तक मानस पाठ कराया। उक्त पाठ में नियमित पाठकियों सहित अन्य श्रद्धालु भी शामिल हुए।
बताया जाता है कि 4 अप्रैल को काफी संख्या में महिला, पुरुष, बुजुर्ग, युवक, युवतियां, बच्चे सहित श्रद्धालुओं ने आयोजन स्थल का परिक्रमा श्रद्धाभाव से किया।
गांव के निजी चिकित्सक देवाशीष विश्वास की नित्य सेवा उपरांत यहां शिक्षा निसहाय दिव्यांग कल्याण ट्रस्ट की ओर से भी पाठ में बैठे श्रद्धालुओं के बीच फलाहार/अल्पाहार वितरण किया जा रहा है।
साथ हीं व्यास दल, पूजारीयों, मुखिया धर्मेंद्र कपरदार, पंसस बोबी देवी एवं मानस समिति के अध्यक्ष श्यामलाल सिंह सहित बरूण मिश्रा, पवन विश्वकर्मा, चंदन रविदास, कुंवर सिंह, सुरेश सिंह, कन्हैयालाल नायक आदि समिति पदाधिकारियों को अल्पाहार सहित भगवा वस्त्र देकर सम्मानित किया गया।
इस कार्य में कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक अजीत रविदास, सहयोगी संतोष रजवार, अध्यक्ष सावित्री देवी, सचिव अंजु देवी, सीता देवी सहित दर्जनों रहिवासी सक्रिय रहे।
जानकारी के अनुसार 4 अप्रैल की रात्रि प्रवचन के क्रम में वाराणसी से पधारे मानस मार्तंड अच्युतानंद ने मानस के सुंदर काण्ड प्रसंग की व्याख्या की।
उन्होंने वीर हनुमान की वीरता का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने प्रभु श्रीराम की सेवा भक्तिभाव से किया, जिसमे उन्हें पूरी सफलता मिली। कहा कि आज के युवा वर्ग बुजुर्गो की बातों की अनदेखी कर देते हैं, लेकिन उन्हें ज्ञान होना चाहिए कि रामायण में बूढ़े जामवंत के जोश चढ़ाने पर ही वीर हनुमान ने अपनी वीरता दिखाई और प्रभु राम के कार्यों को सिद्ध कर पाए।
वीर हनुमान ने सुग्रीव से मित्रता, विशाल समुद्र लांघकर माता सीता की खोज की। उन्होंने लंका को जलाया। साथ ही रावण द्वारा लंका में धर्म विरोधी बनाये गए सातों कानूनों को भी तोड़ा है।
इस अवसर पर अयोध्या धाम से पधारी मानस माधुरी लक्ष्मी रामायणीं ने अपने संगीतमय प्रवचनों में कई प्रसंगों की चर्चा की। कहा कि भगवान के समक्ष छल, कपट की कोई गुंजायश नही है। नि:स्वार्थ भाव से की गई प्रार्थना सफल होती है। उन्होंने श्रीराम भक्त हनुमान की वीरता का जमकर बखान किया।
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