सरकार की बेरूखी या जन प्रतिनिधियों की लाचारी ?
मुश्ताक खान/ मुंबई। 26 जुलाई 2005 को आई भयंकर बाढ़ के दौरान नेहरू नगर (Nehru Nagar) का राशनिंग कार्यालय 32 ई पूरी तरह तबाह हो गया, अभी उस तबाही से उबरा भी नहीं की अचानक उसी कार्यालय में आग लग गई। जिससे कुर्ला पूर्व (Kurla east) के एस जी बर्वे मार्ग पर स्थित बिल्डिंग नंबर 77 के सामने का यह कार्यालय पूरी तरह अस्त व्यस्त हो गया।
इसके बाद आनंन फानंन में इस कार्यलय को नेहरू नगर स्थित केदारनाथ मंदिर के पीछे बालवाडी में शिफ्ट कराया गया। बता दें की गगन चुंबी इमारतों के बीच झोपड़पट्टी में चल रहे इस राशनिंग कार्यालय का परीसीमन अन्य कार्यालयों की तुलना में अधिक है। इसके बावजूद यहां के अधिकारी किसी तरह नौकरी करने को मजबूर हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकार की बेरुखी और जन प्रतिनिधियों की लाचारी का जीता जगता मिसाल नेहरू नगर का यह राशनिंग कार्यालय 32 ई है। गगन चुंबी इमारतों के बीच तंग झोपड़पट्टी के इस कार्यालय के कर्मचारियों को हर मौसम में परेशानियों का समना करना पड़ता है। महिला कर्मचारियों के लिए यह कार्यालय नर्क के सामान है। यहां के कर्मचारियों को मानसून के दौरान सबसे अधिक परेशानी होती है।
चूंकि कुर्ला का यह इलाका मुंबई के नीचले इलाकों में है। मूसलाधार बारिश के दौरान यह इलाका पूरी तरह जलमग्न हो जाता है। बहरहाल कुर्ला पूर्व के एस जी बर्वे मार्ग पर स्थित बिल्डिंग नंबर 77 के सामने के कार्यालय में आग लगने के बाद पूर्व समाजकल्याण मंत्री चंद्रकांत हंडोरे ने उक्त कार्यालय को म्हाडा के सहयोग से विकसित करने का अश्वासन दिया था।
यह बात वर्ष 2005 की है। लेकिन सरकारी दांव पेच में फंसा प्रस्तावित राशनिंग कार्यालय कि इमारत को एमएमआरडीए की तरफ से विकसित करने की योजना सामने आई, जो अब सरकारी फाइलों में धूल चाट रही है।
गौरतलब है की करीब दो दशक से प्रस्तावित नेहरू नगर राशनिंग कार्यालय कि इमारत का अब भी कोई पता नहीं है। 26 जुलाई 2005 में आई भयंकर बाढ़ के दौरान पुरानी राशनिंग कार्यालय में पानी घुसने के कारण लाखों राशन कार्ड धारकों की फाइलें भीग कर बर्बाद हो गई। उस बाढ़ के बाद मुख्य राशनिंग अधिकारी व जन प्रतिनिधियों के फैसले पर तबाह हो चुके कार्यालय को अस्थायी रूप से हटा कर केदारनाथ मंदिर परीसर में स्थित बालवाड़ी में लाया गया। जिसे अब भी बालवाडी में ही देखा जा सकता है।
जबकि प्रस्तावित इमारत को जल्द बनाने का अश्वासन भी स्थानीय नेताओं ने दिया था। उस समय यह कहा गया था की इमारत बनाने के बाद फिर से इसे स्थाई रूप से यहीं शिफ्ट कर दिया जाएगा। लेकिन दो दशक बीतने के बाद भी अस्थाई स्थान पर ही नेहरूनगर के रशनिंग कार्यालय 32 ई को चलाया जा रहा है। जबकी स्थाई रशनिंग कार्यालय की जगह पर धीरे- धीरे अतिक्रमण कर लोग उस स्थान को हड़पने के फ़िराक में हैं। इस दौरान कुर्ला विधानसभा में तीन चार विधायक आये और चले गए। लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।
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