ईडी के चार बार समन के बाद सोरेन दफ्तर में जाने से क्यों कतरा रहे हैं-बाबूलाल
सिद्धार्थ पांडेय/जमशेदपुर (झारखंड)। महाजनों से लड़ते-लड़ते शिबू सोरेन परिवार खुद ही महाजन बन बैठे हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ईडी के चार बार समन के बावजूद उनके सामने उपस्थित नहीं हुए हैं। कहीं ना कहीं गलती करने का डर उन्हें सता रहा है।
उक्त बातें पश्चिमी सिंहभूम जिला के हद में मझगांव उच्च विद्यालय फुटबॉल मैदान में आयोजित भाजपा के संकल्प यात्रा को संबोधित करते हुए 24 सितंबर को पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कही।
उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार लूट खसोट में लगी हुई है। शिबू सोरेन झारखंड राज्य अलग लेने की लड़ाई के दौरान महाजनों के विरुद्ध खुलकर सामने आए थे। झारखंड में आज सोरेन परिवार खुद ही महाजन बन बैठा है। अवैध संपत्ति, गलत तरीके से कमाई करना और संपत्ति अर्जित करना उनकी आदत बन गई है।
कहा कि ईडी के द्वारा चार बार समन किया गया। लेकिन मुख्यमंत्री ईडी के दफ्तर में नहीं जा रहे हैं, क्योंकि उन्हें पूरी तरह फंसने का डर सता रहा है। मरांडी ने कहा कि केंद्र में मोदी सरकार बनते ही सबसे गरीब महिलाओ के लिए पहले शौचालय बनाया। हेमंत सोरेन राज्य में अबतक प्रधानमंत्री आवास बनाने में सफल नही हुए।
पीएमआर आवास में भी रिश्वतखोरी का काम करते है। पीएम ने हर महिना प्रत्येक परिवार को 5 किलो आनाज देने का वादा किया है। हेमंत सोरेन सरकार में अधिकारी केंद्र का राशन को भी बेच देते है। पीएम ने गैस सिलेंडर में 400 रुपये का निजात दिया। देश के कारीगरो के लिए 13 हजार करोड़ दिया है। मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक कुप्रथा को समाप्त किया। वर्तामान में महिलाओ को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया।
पूर्व सीएम मरांडी ने कहा कि देश व राज्य में संयुक्त बीजेपी सरकार होती तो राज्य में विकास काफी होती है। उन्होंने कहा कि देश में भाजपा सरकार के कार्यकाल में हीं झारखंड बना है। भाजपा ने आदिवासियो के 8 सांसदों को मंत्री व राष्ट्रपति आदिवासी महिला को बनाया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 से पहले राज्य मे सड़क तक नही बना था। आज हर गांव में बिजली व सड़क का जाल बिछ गया है।
लेकिन राज्य में हेमंत सोरेन सरकार अपने कार्यकाल में लुट, रिश्वतखोरी का काम कर रहें है। हेमंत सोरेन ने पुलिस कर्मी को नदी किनारे खड़ा कर दिया है, रिश्वत लेने के लिए। उन्होंने कहा कि जाति, आय व मृत्यु प्रमाण पत्र में भी अंचल मे पैसा देना पड़ता है। अगर घर में नया बहु आई तो राशन कार्ड में नाम जोड़वाने के लिए भी दो हजार रिश्वत देना पड़ता है।
सरकार सरकारी पदाधिकारी की ट्रांसफर पोस्टिंग में रिश्वत नही लेती तो आज रिश्वरखोरी नही होता। 700 करोड़ रुपये डीएमएफटी फंड का पैसा पड़ा हुआ है। उक्त पैसे को विधायक चोरी करने में लगे हैं।
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