एस.पी.सक्सेना/पटना(बिहार)। रंगो का त्योहार होली के पावन अवसर पर बिहार की राजधानी पटना के कदमकुआं स्थित जय भारत कान्पलेक्स सलिमपुर अहरा गली नंबर एक में बीते दिनों विश्व रंगमंच दिवस मनीष महिवाल (Manish mahival) के निर्देशन में लोकपंच की प्रस्तुति बेटी पढ़कर क्या करेगी नाटक का मंचन किया गया। उक्त जानकारी प्रस्तुत नाटक के निर्देशक मनीष महिवाल ने दी।
महिवाल ने नाटक बेटी पढ़कर क्या करेगी के कथासार के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि नाटक की शुरुआत कुछ बच्चों के खेलने से होता है। कुछ देर खेलने के बाद जब बच्चे स्कूल जाने की बात करते हैं तब मुनिया नाम की एक बच्ची जो बकरी चराती है वो भी उनके साथ स्कूल जाने की जिद करती है। तब बच्चे उसे बताते हैं कि तुम अपने पिताजी को बोलो कि स्कूल में नाम लिखवा दें, तब तुम भी हम लोगों के साथ स्कूल जा सकती हो।
बच्चों की बात सुनकर मुनिया अपने घर जाती है और अपने माता-पिता से स्कूल में नाम लिखाने की जिद करती है . . .स्कूल में नाम लिखाना तो दूर मुनिया के पिता उस की शादी तय कर देते हैं। शादी का दिन होली के ठीक 10 दिन बाद तय कर दिया जाता है। हर साल की तरह इस साल भी मुनिया के गांव में होली के पावन अवसर पर होली मिलन कार्यक्रम करने शहर से कुछ कलाकार पहुंचते हैं। इन कलाकारों को जब मुनिया के बाल विवाह का पता चलता है, तब गांव में होली मिलन का कार्यक्रम करने से मना कर देते हैं। इसे लेकर मुनिया के माता-पिता को बुलाया जाता है। सारे कलाकार गांव के मुखिया से मिल कर मुनिया के पिता को समझाते हैं। तब जाकर उन्हें समझ में आता है और सबके सामने शादी को रोक दिया जाता है। इस खुशी में होली का रंगारंग कार्यक्रम आरंभ होता है जिसमें मुनिया और उसके परिवार के लोग भी शामिल रहते हैं।
महिवाल के अनुसार होली मिलन में गाए जाने वाले कुछ गीत . . .सिया निकले अवधवा के ओर, होलिया खेले राम लला… गोरिया करीके सिंगार,अंगना में पिसेलि हरदिया… बम भोले हो लाल कहमा रंगावल पागडिया..आज बिरज में होली है रे रसिया होली है रे रसिया बरजोरी है रे रसिया तथा मिथिला में राम खेले होली, मिथिला में आदि प्रस्तुत किया गया।
महिवाल के अनुसार प्रस्तुत नाटक में उनके अलावा दीपा दिक्षित, अमित सिंह एमी, उर्मिला कुमारी, अभिषेक कुमार, अकाश उपाध्याय, नेहा डोयल, प्रियंका कुमारी, रजनीश पांडेय, विक्की कुमार, राम प्रवेश, ठाकुर कृष्णा देव आदि कलाकारों ने मुख्य भूमिका में थे, जबकि नाटक के लेखक नीरू कुमारी हैं।
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