कुमार नंदसिंह/फुसरो (बोकारो)। चैत्र नवरात्र के मौके पर पूरे देश में माता के भक्तों के बीच खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। माता के भक्त सुबह से मंदिरों में लाइन लगाकर माता के दर्शन का इंतजार करते दिख जाते हैं।
झारखंड में भी नौ दिनों तक चलने वाले माता के इस त्योहार को लेकर रहिवासियों में उत्साह देखने को मिल रहा है। ऐसे में आज हम झारखंड में माता स्थलों के कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां माता के दर्शन मात्र से ही आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी।
छिन्मस्तिका मंदिर (रजरप्पा)
झारखंड के रामगढ़ जिला के हद में रजरप्पा मंदिर है। दामोदर नदी और भैरवी (भेड़ा) नदी के संगम पर स्थित मां छिन्मस्तिका मंदिर रामगढ़ जिला में स्थित है।
यह माता के प्रसिद्ध शक्ति पीठों में से एक है। इस मंदिर में भक्तों द्वारा माता को बकरे की बलि दी जाती है। इस मंदिर को तंत्र, साधना के लिए उपयुक्त माना जाता है।
चंचला देवी शक्ति पीठ (कोडरमा)
कोडरमा जिला मुख्यालय से ये मंदिर लगभग 33 किलोमीटर दूर कोडरमा-गिरिडीह राजमार्ग पर स्थित है। माँ चंचला देवी का मंदिर लगभग 400 फीट की ऊंचाई पर स्थित पहाड़ की एक गुफा में है, जहां प्रवेश करना मुश्किल है। हर सप्ताह प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को यहां भक्तों की भीड़ लगती है।
देवड़ी मंदिर (रांची)
रांची टाटा मार्ग पर रांची जिले के तमाड़ से यह मंदिर 3 किमी दूर देवड़ी गांव में स्थित है। इस मंदिर में 16 भूजी माता की मूर्ति है। इस मंदिर में माता की मूर्ती के ऊपर भगवान शिव की मूर्ति है। इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां सप्ताह में 6 दिन पाहन और एक दिन ब्राह्मण पुजारी माता की पूजा करते हैं।
मां भद्रकाली मंदिर (चतरा)
मां भद्रकाली का यह मंदिर चतरा जिला के हद में इटखोरी प्रखंड में भादुली गांव में स्थित है। यहां एक ही शिलाखंड से माता की मूर्ती को तराशा गया है। इस मंदिर में स्थित माता की मूर्ती 4.5 फीट ऊंची, 2.5 फीट चौड़ी और 30 मन भारी है।
उग्रतारा मंदिर (नगर)
लातेहार जिला के हद में चंदवा प्रखंड मुख्यालय से लगभग 9 किमी दूरी पर यह मंदिर नगर गांव (मंदार गिरी पहाड़) में स्थित है। इस मंदिर की मुख्य विशेषता काली कुल की देवी उग्रतारा और श्री कुल की देवी लक्ष्मी का एक ही स्थन पर स्थापित होना है।
167 total views, 1 views today