बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक पर्व विजयादशमी का समापन

प्रशासनिक सजगता भीड़ प्रबंधन में किया सहयोग, कोरोना प्रोटोकॉल के प्रति दिखी लापरवाही

प्रहरी संवाददाता/वैशाली (बिहार)। बुराई और अच्छाई का परस्पर संघर्ष श्रष्टि के विकास में साथ साथ चलता रहा है। महाकाव्य रामायण में वर्णित प्रभु श्रीराम की कथा वस्तु का आधारभूत तथ्य भी यही है।

दशहरा या विजयादशमी से अभिप्राय यह है कि सोने की खूबसूरत लंका और उसका अधिपति राक्षस राज रावन को दस सिर थे। उसने अच्छाई के प्रतीक प्रभु श्रीराम से युद्ध में मात खाई। अंततः उसे अपने प्राण गवाने पड़े। प्रत्येक साल उसका पुतला दहन कर पर्व का समापन किया जाता रहा है।

उधर विजयादशमी तिथि को ही बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न अयोध्या मे मनाया गया था। उस दिन से दशमी तिथि को यह अद्भुत पर्व मनाया जाता है। खास बात यह कि सदियों पुरानी इस धार्मिक परम्परा के निर्वाह के पीछे निश्चित रूप से कई विज्ञान से जुड़े अहम कारण भी हो सकते हैं।

आस्था का यह महानुष्ठान माना जाता है। जिसमें नौ दिनों तक शरीर को पवित्र बनाकर उपवास वगैरह पर रहकर माता दुर्गा के प्रति असीम निष्ठा और श्रद्धा देशवासी जताते रहे हैं।

इस साल दुर्गा पूजा को लेकर वैशाली जिला और पुलिस प्रशासन (Police Administration) ने पहले से भी अधिक सख्त इंतजाम किए थे। मुख्यालय में रूट डायवर्ट और विभिन्न सड़कों पर बैरिकेडिंग तय अवधि में यह दर्शाने के लिए काफी था कि प्रशासनिक अधिकारी सजग रहे।

हालांकि इस क्रम में प्रतिमा स्थलों पर श्रद्धालुओं को कोरोना प्रोटोकॉल के प्रति लापरवाह देखा गया। कुछ जानकारों का मानना है कि पर्व पर जन उम्मीदों को प्रशासन भी सकारात्मक नजरिए से देखता रहा है। जिले में काफी उत्साह के साथ पर्व मनाया गया और फिर उसका विधिवत समापन भी हो गया।

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