वेद भगवान का स्वरूप तो भगवान ज्ञान का-परमानंद ठाकुर

प्रहरी संवाददाता/पेटरवार (बोकारो)। वृंदावन धाम से पधारे आचार्य परमानंद ठाकुर जी महराज ने कहा कि महाग्रंथ ‘वेद’ भगवान का स्वरूप है। जबकि भगवान ज्ञान का स्वरूप है।

उन्होंने कहा कि जीव और ब्रह्म के मिलन की कथा रासलीला में समाहित है। शक्ति स्वरूपा भागवत पुराण है और सम्पूर्ण जीव उसी परमात्मा के अंश हैं। उन्होंने वेदों में वर्णित भगवान के तीन स्वरूपों को बखूबी बताया।

ठाकुर जी महराज बोकारो जिला के हद में पेटरवार प्रखंड (Peterwar block) के अंगवाली गांव के मंडपवारी चौक स्थित मंदिर परिसर में आयोजित श्रीमद भागवत कथा ज्ञान सप्ताह के दौरान बीते 6 मई को दुतीय रात्रि प्रवचन में बोल रहे थे।

आचार्य ने कहा कि कथा को जीवन में सभी उतारें, तभी इसके सुनने की सार्थकता सिद्ध होगी। जिनपर परमात्मा की कृपा नही होती है, वे पास रहकर भी भगवत कथा श्रवण से वंचित रह जाते हैं। उन्होंने सत्संग का सटीक व्याख्या करते हुए कहा कि बिना सत्संग विवेक न होई।

कलियुग में भगवत नाम एवं गुरु-शिष्य के बीच कैसा संबंध स्थापित हो, विस्तार से वर्णन किया। महराज जी ने पहली दिवस की कथा मंच को दक्षिण दिशा से पश्चिम दिशा की ओर समिति के द्वारा स्थांतरित यह कहकर करवाया कि पूर्व का मंच आयोजक व श्रोता समूह के लिए लाभकारी कदापि नही था।

बेमौसम वर्षा से बिलंब से कथा अवश्य शुरू हुई, पर सुनने वाले महिला, पुरुष काफी संख्या में जुटे रहे। मंच पर आचार्य की शिष्या ममता, आचार्य मनु मिश्रा, अनुज पाठक, अक्षय पाठक सहित वाद्य दल के पवन प्रताप, दीपक कुमार, राघव, प्रशांत आदि मौजूद थे।

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