एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। जिस तरह भाजपा को 2024 में सत्ता से बाहर रखने के लिए गैर भाजपाई विभिन्न पार्टियां एक हो रही है। उसी तर्ज में झारखंड में भाजपा, कांग्रेस, जेएमएम, राजद, तथा आजसू को सत्ता से बाहर रखने के लिए सभी झारखंड नामधारी विभिन्न पार्टियां तथा स्वयंसेवी संगठन के नेता झारखंडी हित में एक मंच पर आए।
उपरोक्त बातें झारखंडी सूचना अधिकार मंच के केंद्रीय अध्यक्ष सह आदिवासी मूलवासी जन अधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने 24 जून को कही। उन्होंने कहा कि राज्य निर्माण के 23 वर्ष बीत जाने के बाद भी प्राय: भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, जेएमएम, राजद तथा आजसू पार्टी सत्ता का मलाई चाटने का काम किया।
दुर्भाग्य कि इन सभी पार्टियों ने और उनके मुख्यमंत्रियों ने झारखंडी हित के एवं झारखंडी समाज के भले के लिए कोई फैसले नहीं लिए। न ही कानून बनाए। जिससे कि झारखंडी समाज का जो झारखंड अलग राज्य में देखे गए सपने थे, वह पूरा हो सके।
नायक ने कहा कि 23 वर्ष राज्य निर्माण के बीत जाने के बाद भी झारखंड में बेरोजगारी, पलायन, गैर झारखण्डीयों द्वारा जमीन की लूट जल, जंगल, जमीन, खान-खनीज की लूट व्यापक रूप से होती रही है। किसी भी दल के मुख्यमंत्रियों ने इस दिशा में गंभीरता पूर्वक कोई भी सकारात्मक पहल नहीं किया। जिस कारण झारखंडी समाज आज हाशिए पर खड़ा है। उनके देखे गए सपने आज राज्य निर्माण के पूर्व जहां थे, आज भी वहीं पर पड़े हुए हैं।
नायक ने आगे कहा कि इस विषम परिस्थिति में भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल, आजसू एवं विभिन्न गैर झारखंडी पार्टियों को आने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ता से दूर रखने के लिए वे झारखंड नामधारी पार्टियों से अपील करते है कि वे अपने निजी स्वार्थ को त्याग कर सत्ता लोलुप राजनीतिक पार्टी को छोड़कर झारखंडी हित में एक मंच पर आने का काम करें।
एक साझा सोच एवं साझा न्यूनतम कार्यक्रम के माध्यम से सभी अभी से ही एकजुट होने का प्रयास करें, ताकि आने वाले दिनों में इन पार्टियों को हम सत्ता से बाहर कर सकें। और झारखंडी समाज द्वारा देखे गए सपने जो आज तक राज्य निर्माण के 23 वर्ष के बाद भी जो पूरा नहीं हो सके हैं उनके सपनों को पूरा कर सके।
नायक ने कहा कि इस राज्य के रहिवासियों का सबसे बड़ा दुर्भाग्य रहा है कि 23 वर्ष बीतने के बाद भी राज्य में आज तक स्थानीय नीति, नियोजन नीति का गठन नहीं किया जा सका है। यहां के भू संपदा जल, जंगल, जमीन पर बाहरी तत्वों का कब्जा होता जा रहा है। यहां झारखंडी लोग राज्य में अव्यवस्था का शिकार होकर पलायन होने को मजबूर हैं। इसलिए उनकी दुर्दशा को देखते हुए हमें एकजुट होना होगा। तभी झारखंडी समाज का भला हो सकता है।
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