सिद्धार्थ पांडेय/जमशेदपुर (झारखंड)। पश्चिमी सिंहभूम जिला के हद में नोवामुण्डी स्थित पद्मावती जैन सरस्वती शिशु मंदिर में 12 जनवरी को विद्यालय प्रांगण में 160वीं स्वामी विवेकानंद जयंती के उपलक्ष में राष्ट्रीय युवा दिवस का भव्य आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के कार्यकारिणी समिति के कोषाध्यक्षा मालती लागुरी, अभिभावक प्रतिनिधि पूनम देवी, प्राचार्या सीमा पालित (गुरु माँ) ने संयुक्त रूप से नित्य वन्दनीया माँ सरस्वती तथा स्वामी विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण, पुष्पार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
कार्यक्रम में कक्षा सप्तम की बहन जीया खातुन ने स्वामी विवेकानंद की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को पश्चिम बंगाल के कलकत्ता में हुआ था। उनकी माता का नाम भुवनेश्वरी देवी और पिता का नाम विश्वनाथ दत्ता था। उनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। रामकृष्ण परमहंस देव उनके गुरु थे।
इस अवसर पर विद्यालय के भैया बहनों ने मनमोहक भजन, अविश्वसनीय नाटक, सुन्दर नृत्य आदि प्रस्तुत किया। प्राचार्य गुरु माँ ने अपने संबोधन में कहा कि भारत माता का सपूत तथा महान विभूति स्वामी विवेकानंद वेदांत के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे।
उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व कर पूरे विश्व में भारत का स्थान ऊंचा किया।उनकी प्रेरणादायी वाणी उठो जागो और तब तक रुको मत जब तक लक्ष्य प्राप्ति न हो जाए सब के लिए सदा अनुकरणीय है।
राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर वेशभूषा, चित्रांकन, स्वामी विवेकानंद की वाणी लेखन आदि प्रतियोगिताएं कराई गई। वेशभूषा प्रतियोगिता में विजेता बहन दिव्यांश पंडा, उपविजेता भैया कुणाल सुरेन रहा। चित्रांकन प्रतियोगिता में विजेता बहन अनीता चाम्पिया, उपविजेता भैया राजू लोहार रहा। स्वामी विवेकानंद की वाणी लेखन प्रतियोगिता में विजेता बहन राशि मोहांती, उपविजेता बहन सृष्टि शर्मा बनी। सभी विजेता तथा उपविजेता भैया बहनों को पुरस्कृत किया गया।
पुरस्कार वितरण के अवसर पर कार्यकारिणी समिति के अध्यक्षा मालती लागुरी, अभिभावक प्रतिनिधि पूनम देवी एवं गुरु माँ ने सभी प्रतिभागियों को साधुवाद दिया तथा उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। प्रतियोगिता प्रमुख दीदी वैजंती पान द्वारा धन्यवाद ज्ञापन एवं वन्दना प्रमुख अंजली बोस दीदी द्वारा शांति मंत्रोच्चारण के साथ कार्यक्रम की समाप्ति हुई।
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