पति की मौत के बाद उर्मिला के पास कोई साधन नहीं
उर्मिला के उपर अपने चार मासूमों की देखभाल का जिम्मा
संतोष कुमार/वैशाली(बिहार)। वैशाली जिला (Vaishali district) के हद में बरांटी ओपी क्षेत्र में एक ऐसा मामला लोगों के समक्ष आया है जो काफी मर्माहत कर देने वाला है।
करीब दस बारह वर्ष शादी के बीतने के बाद अचानक कमाऊ पति विशेश्वर पासवान की नहर में डूबकर मौत हो जाने पर वैधव्य का दंश झेल रही उर्मिला के साथ यह घटना हुई है।
वैशाली जिला के हद में हाजीपुर प्रखंड क्षेत्र की पंचायत दयालपुर के वार्ड क्रमांक तीन निवासी उर्मिला के चार संतान होने की जानकारी लोगों ने देते हुए कहा कि अब मुश्किल है कि बिना सरकारी वित्तीय मदद के उर्मिला अपने मासूम बच्चों की उचित देखभाल कर सके।
ग्रामीण रहिवासियों का कहना है कि उन लोगों के सिर पर छत भी नहीं, जहां सुरक्षित जीवन गुजार सके। उसमें भी एक मासूम सी बच्ची भी एक अलग और गम्भीर जवाबदेही मानी जा रही है।
मालूम हो कि उर्मिला गांव की सीधी साधी औरत है। जिसे इतनी कम उम्र में ही यह दिन देखना पड़ा।
आगे लंबा संघर्ष उसका इंतजार कर रहा है। उसका पति विशेश्वर बीते एक अगस्त को संध्या में अंधेरा होने के बाद नहर के रास्ते मजदूरी कर लौट रहा था। रहिवासियों के अनुसार लौटने के क्रम में नहर किनारे उसका पैर फिसला और वह गहरे पानी में चला गया। किसी तरह यह बात जब स्थानीय रहिवासियों तक पहुंची तो देखते देखते भीड़ जुट गई।
पीड़िता द्वारा बरांटी ओपी प्रभारी को दिए आवेदन में जिक्र किया गया है कि जबतक उसे नहर से किसी तरह निकाला गया तब तक उसके पति की मृत्यु हो गया था।
पीड़िता के अनुसार स्थानीय पुलिस को घटना की सूचना ग्रामीणों ने दी। परिजनों का कहना है कि आवेदन में दाह संस्कार समेत क्रिया क्रम को सम्पन्न कराने में कुछ समय लग जाने की वजह से देर हुई। फिर भी पीड़ित पक्ष को स्थानीय पुलिस का विधि सम्मत सहयोग मिला।
उर्मिला की पीड़ा से सभी मर्माहत है। स्थानीय मुखिया रिंकू देवी, उनके पति व प्रतिनिधि जदूनी पासवान के अलावा अन्य प्रमुख स्थानीय रहिवासियों का कहना है कि उर्मिला और उसके चार बच्चों की जवाबदेही अब समाज के लिए और सरकार के लिए कुछ बेहतर कर गुजरने का एक दुर्भाग्य युक्त अवसर है।
ग्रामीणों बात करने पर उनका कहना है कि मजदूर पति के मरने के बाद उसके घर में खाने के भी लाले पड़े हैं। उसपर से चार चार बच्चों की जवाबदेही भी एक अलग पीड़ा दायक स्थिति उर्मिला को है।
मानवीय पहलुओं पर अपनी उदार राय रखने वाले कुछ लोकप्रिय समाजसेवियों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से गुहार लगाई है, कि वे खुद उर्मिला की जिंदगी के बारे में जानकारी लें,अन्यथा उसका अब कोई सहारा नहीं रह गया है।
उधर उर्मिला और उसके मासूम बच्चों के चेहरे पर घटना के बाद अजीब सा दृश्य उभरता जा रहा है।
गमगीन उर्मिला अपने इन नन्हें बच्चों के साथ उदासी और मौन सिसकियों के समुंदर में डूबी हुई दिखती है। सरकार से उर्मिला के लिए गुहार लगाने वालों में समाजसेवी सह अवकाश प्राप्त पशु चिकित्सक डा शिवकुमार सिंह, चर्चित युवा शिक्षक शिवचंद्र सिंह उर्फ बमबम, समाजसेवी कृष्ण बल्लभ सिंह, शालिग्राम सिंह, नागेश्वर पासवान, बबलू, उसका छोटा भाई स्नातक शिक्षा प्राप्त मनमोहन उर्फ गोलू, कुमार गौरव, शशि सिंह, सेवा निवृत
शिक्षक सुरेश प्रसाद सिंह, स्थानीय सरजुग पासवान, लोजपा के चर्चित युवा कार्यकर्ता इंदल पासवान सहित कई अन्य ने प्रतिक्रिया दी है और उर्मिला को सरकारी मदद जल्द से जल्द मिले इसकी मुख्यमंत्री से मीडिया के जरिए गुहार लगाई है।
कुछ लोगों ने यहां तक कह डाला कि उर्मिला को सरकार कोई चतुर्थ वर्गीय कर्मी ही बना दे, ताकि वह इज्जत की जंदगी जी सके और बच्चों का बेहतर परवरिश कर सके।
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