मच्छरों के आतंक से बिमारियों का खतरा बढ़ा
मुश्ताक खान/मुंबई। स्थानीय समाजसेवक मोहम्मद हुसेन और राजेंद्र नगराले के अथक प्रयास से करीब तीन साल बाद मुकुंद नगर (Mukund Nagar) के नाले की सफाई और दुरूस्तकरण का काम मनपा ने शुरू किया है।
बताया जाता है कि 24 फरवरी 2021 से पत्राचार व आरटीआई (RTI) का सहारा लेने के बाद 27 जुलाई 2021 को मनपा के अधिकारी की नींद खुली तब मुकुंद नगर की विभिन्न समस्याओं (Different Problems) पर चर्चा की। इसके बाद लिस्ट बनी लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इसके बाद इन दोनों समाजसेवकों ने फिर से पत्राचार शुरू किया।
यानी पूरे एक साल बाद 25 फरवरी 2022 से यहां के नाले की सफाई शुरू हो गई है। इसके बाद दुरूस्तीकरण किया जाएगा। मो. हुसेन और राजेंद्र नगराले के प्रयास से काम तो शूरू हुआ लेकिन 25 फरवरी को निकाला गया नाली का कचरा अब स्थानीय लोगों के लिए खतरनाक साबित हो रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार वाशीनाका के मुकुंद नगर के नाले से निकली गंदगी के कारण इस इलाके में मच्छरों का आतंक बढ़ गया है। इसके अलावा संकरा रोड़ होने के कारण स्थानीय लोगों की परेशानियां बढ़ गई है।
इस रोड़ पर दो वाहनों के एक साथ आने पर पूरी तरह ब्लॉक हो जाता है। ऐसा अधिकांश सुबह स्कूलों के जाने के समय देखा जाता है। इस मुद्दे पर मनपा एम पश्चिम रोड़ विभाग के अभियंता अब भी गहरी निंद में हैं। शायद वे किसी अन्होंनी का इंजार कर रहे हैं।
गौरतलब है कि मनपा के भंगार पड़े कुल 12 इमारतों को आनन फानन में जैसे तैसे मरम्मत कराकर शहर के विभिन्न इलाके के नागरिकों वर्ष 2019 कस अंत में शिफ्ट करा दिया गया। जबकि इन इमारतों में आये नागरिक पिछले दो-तीन साल से अधिक बीतने के बाद भी सरकरी सुविधाओं से वंचित व अलग अलग समस्याओं से जुझ रहे हैं।
ऐसे में माना जा रहा है कि मुकुंद नगर के नागरिकों की गुहार सुनने वाला कोई नही है। बताया जाता है कि इन इमारतों की मरम्मति करने वाला ठेकेदार कोरोना के दौरान आधा अधूरा काम छोड़ कर यहां से चलता बना। जिसके कारण इस इलाके के लोग जर्जर रोड और गंदगी से भरी नालियों की बदबू से परेशान हैं।
बता दें कि मनपा द्वारा परियोजना प्रभावितों को जबरन भेड़ बकरियों की तरह मुंबई के विभिन्न इलाकों से लोगों को मुकुंद नगर में रहने के लिए छोड़ दिया है। मौजूदा समय में इनमें से कुछ इमारतों की सोसायटी बन चुकी है। जबकि कुछ ऐसे भी हैं जो विभिन्न कारणों से अब तक नहीं बन पार्ईं हैं। लेकिन उन इमारतों कि सोसााइटी बनने का काम चल रहा है।
फिलहाल यहां के स्थानीय लोग इन दोनों समाजसेवकों के सराहनीय कार्यो की प्रसंशा कर रहे हैं। क्योंकि मो. हुसेन और राजेंद्र नगराले के कारण ही 3 साल बाद ही सही पहली बार इस नाले की सही तरीके से सफाई हो रही है।
ऐसे में माना जा रहा है कि अगर मुकुंद नगर के समाजसेवक मोहम्मद हूसेन और राजेंद्र नागराले ने आर टी आई का सहारा नहीं लिया होता तो शायद यह सब संभव नहीं हो पाता।
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