सिपहसालारों के छूट रहे हैं अपने प्रतिद्वंद्वी से मुकाबला
प्रहरी संवाददाता/मुंबई। मौजूदा महाराष्ट्र विधानसभा की चुनावी अखाड़ा बेहद दिलचस्प होता जा रहा है। एनसीपी और शिवसेना राज्य की दो प्रमुख पार्टियों की टूटने के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव है। एनसीपी के विभाजन के बाद शरद पवार और अजित पवार भी आमने-सामने हैं। ऐसे में अजित और उनके सिपहसलारों को घेरने के लिए शरद पवार ने भयंकर प्लान तैयार किया है।
शरद पवार ने भतीजा अजित पवार के सिपहसालारों को घेरने के लिए अपने विशेष मुहीम के तहत खास रणनीति अपनाई है। जिसके कारण अजित के दिग्गज सिपहसालारों को अपने प्रतिद्वंद्वी से मुकाबला करने में पसीना छूट रहा है। शरद पवार ने छगन भुजबल के विरुद्ध माणिकराव शिंदे को मैदान में उतरा है। जोकि भुजबल के लिए सिरदर्दी साबित हो रहे हैं। भारतीय राजनीति के धुरंधर शरद पवार ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अपने भतीजे अजित पवार को धुल चटाने का पूरा बंदोबस्त कर दिया है।
महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के दिग्गज नेता छगन भुजबल 1991 में शिवसेना छोड़कर कांग्रेस में आए थे, तब से शरद पवार ने उन्हें विभिन्न महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी सौंपी। वह विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष से लेकर राज्य के उप मुख्यमंत्री तक बने। लेकिन, करीब 33 वर्ष बाद, पिछले साल जब वह शरद पवार का साथ छोड़कर अजित पवार के साथ चले गए तो पार्टी टूटने के बाद शरद पवार ने अपना पहला दौरा छगन भुजबल के गृह क्षेत्र नासिक से ही किया था। ऐसे में वहां के लोगों को छगन भुजबल जैसा नेता देने के लिए बाकायदा माफी मांगी।
चुनावी मैदान में भुजबल के मुकाबले माणिकराव शिंदे
विधानसभा चुनाव में जब भुजबल पांचवीं बार नासिक की येवला सीट से चुनाव लड़ रहे हैं तो उनके विरुद्ध शरद पवार ने अपनी पार्टी के माणिकराव शिंदे को टिकट दिया है। पिछले साल अजित पवार के साथ जाने वाले नेताओं में धनंजय मुंडे का नाम भी प्रमुख था। भाजपा के दिग्गज नेता रहे गोपीनाथ मुंडे के भतीजे धनंजय को राकांपा में लाने का श्रेय ही अजित पवार को जाता है। 2019 के विधानसभा चुनाव में धनंजय ने अपनी चचेरी बहन पंकजा मुंडे को हराकर परली की सीट जीती थी।
इस बार शरद पवार ने परली से दोबारा चुनाव लड़ रहे धनंजय के विरुद्ध एक मराठा उम्मीदवार राजेसाहेब देशमुख को उतारकर उनकी घेराबंदी कर दी है। पश्चिम महाराष्ट्र के नेता दिलीप वलसे पाटिल कभी शरद पवार के निजी सहायक हुआ करते थे, फिर उन्हें राजनीति में लाकर शरद पवार ने ही आगे बढ़ाया और कई बार मंत्री भी बनाया। अब वह अजित पवार खेमे में चले गए हैं।
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