आदिवासियों ने पीएम सहित भाजपायीयों का पुतला फूंका

प्रहरी संवाददाता/बोकारो। बोकारो जिला (Bokaro district) के हद में जैनामोड़ खुटरी (Jainamod Khutri)  पोलीटेक्निक चौक पर बीते 14 मार्च की संध्या आदिवासी समुदाय के सैकड़ो रहिवासियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित आधा भाजपा नेताओं का पुतला दहन किया।
जानकारी के अनुसार आदिवासी सेंगेल अभियान (ASA) के तत्वावधान में अभियान के जिलाध्यक्ष सुखदेव मुर्मू के नेतृत्व में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और बाबुलाल मरांडी का पुतला दहन किया गया। बता दें कि पिछले दिनों आरएसएस का घटक संगठन सुरक्षा जनजाति मंच से बाबूलाल मरांडी ने कहा था कि “जनजाति आदिवासी समाज जन्म से ही हिंदू है और जो नहीं मनाते हैं इसका जनजातिय लाभ न मिले।” इसके बाद से ही झारखंड के आदिवासी समाज के बीच भाजपा व आरएसएस के प्रति लगातार आक्रोश बढ़ता जा रहा है। खासकर झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी आदिवासी समाज के निशाने पर हैं।
आदिवासी समाज बाबूलाल के बयान को अति निंदनीय बता रहे हैं। उनके बयान को आदिवासी विरोधी व् सरना धर्म विरोधी बताया जा रहा है। पुतला दहन कार्यक्रम के दौरान उपस्थित वक्ताओं द्वारा कहा गया कि बाबूलाल मरांडी का बयान अति निंदनीय है।आदिवासी विरोधी व् सरना धर्म विरोधी है। इसका हम लोग विरोध करते हैं। भाजपा एवं आरएसएस ने बाबूलाल मरांडी के कंधे पर बंदूक रखकर भारत के आदिवासियों को गुलाम बनाने की षड्यंत्र को जाहिर कर दिया है। बाबूलाल मरांडी के पीछे आरए एस प्रमुख मोहन भागवत, पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह एवं भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का हाथ है।
कहा गया कि भारत के आदिवासियों को जबरन हिंदू बनाने के इस षड्यंत्र के खिलाफ पुतला दहन किया गया। आदिवासियों को हिंदू कहना या हिंदू करण करना हमारी मूल पहचान खत्म कर मानसिक रूप से हमें गुलाम बनाने के लिए भाजपा नेता, बीजेपी, आरएसएस वालों ने आदिवासियों की प्रकृति पूजक सरना धर्म और हजारों सालों से आदिवासी समाज जो अपनी स्वतंत्र सांस्कृतिक सामाजिक सभ्यता आदिवासी पहचान सजाए हुए हैं, उसको खत्म करने के लिए आदिवासियों को जबरन हिंदू कहा जा रहा है। हमलोग इसका विरोध करते हैं। जबरन हिंदू बनाना संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत हमारी धार्मिक आजादी पर हमला है। वक्ताओं ने कहा कि भारत में 2021 का वर्ष जनगणना का है। हम भारत के अधिकांश आदिवासी अब तक प्रकृति पूजक हैं। अतः सरना धर्म या अन्य विभिन्न नामों से अपनी धार्मिक, अस्तित्व, पहचान, हिस्सेदारी और एकता को बचाए रखने के लिए कटिबद्ध हैं। अपनी धार्मिक पहचान के साथ जनगणना में होना हमारा अधिकार है। मगर बेजेपी/आरएसएस हमारे मौलिक अधिकार (फंडामेंटल राइट्स), मानवीय अधिकार (ह्वयूमन राइट्स) और आदिवासी अधिकार ( इंडिजेन्स पीपल रायट्स-यून) को दरकिनार कर जबरन हमें हिन्दू बनाने पर उतारू है। जबकि झारखंड सरकार और बंगाल सरकार ने आदिवासियों की धार्मिक मांग-सरना धर्म कोड का अनुशंसा कर दिया है। वक्ताओं ने कहा कि भाजपा और आरएसएस ने अब तक इस मामले पर‌ चुप्पी साधकर आदिवासी विरोधी, सरना धर्म विरोधी होने का प्रमाण प्रस्तुत कर दिया है, जो भारत के लगभग 15 करोड़ आदिवासियों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। लगता है भाजपा/आरएसएस बाकि बचे दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़ों को जबरन अपना गुलाम बनाकर छोड़ेगी।
मौके पर जिला संयोजक सुगदा किस्कू, भीम मुर्मू, कनारी पंचायत सेंगेल परगना राखो किस्कू, खुटरी पंचायत सेंगेल परगना लालचंद मुर्मू, फुलेश्वर मुर्मू, पीताम्बर सोरेन, सुखराम मुर्मू, दिनेश हेंब्रम, जितेंद्र मार्डी, धर्मेंद्र मार्डी, राजेश मार्डी, परवीन मुर्मू, विरेन्द्र मार्डी, पुष्पा सोरेन, साधेर मुर्मू, व्यासमुनी बास्के, हीरा मुनी हेंब्रम, मायनो सोरेन, अंजली, सीमोती, संगीता मुर्मू, सुकमती मुर्मू, गुड़िया हेंब्रम, विराज , सुनिता, सुष्मा, सरोधनी, पानमती आदि आदिवासी महिला व पुरुष उपस्थित थे।

 508 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *