फिरोज आलम/जोनामोड़ (बोकारो)। बोकारो जिला के हद में जरीडीह प्रखंड के गायछंदा पंचायत लोपसाडीह में 10 अक्टूबर को आदिवासी सेंगेल अभियान की तरफ से सेंगेल सभा किया गया। अध्यक्षता जरीडीह सेंगेल टावर बिजय सोरेन एवं संचालन बोकारो जिला सेंगेल टावर जयराम सोरेन ने किया।
सेंगेल के तरफ से आयोजित बैठक में सेंगेल माझी परगना मंडवा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रमोहन मार्डी ने कहा कि आदिवासी समाज में व्याप्त नशा पान, अंधविश्वास, डायन प्रथा, वोट की खरीद बिक्री, आदि।
आदिवासी महिला विरोधी मानसिकता बंद हो और गांव समाज में चालू आदिवासी स्वशासन व्यवस्था (TSRS) में सुधार कर जनतंत्र और संविधान लागू करना, संताली भाषा को झारखंड प्रथम राजभाषा बनाना, असम और अंडमान के झारखंडी आदिवासियों को अविलंब एसटी का दर्जा दिलाना है। साथ हीं झारखंड गढ़ (दिशोम) को बचाना है।
बैठक में सेंगेल के झारखंड प्रदेश संयोजक करमचंद हांसदा ने कहा कि आज झारखंड और वृहद झारखंड क्षेत्र में आदिवासी समाज के अस्तित्व, पहचान और हिस्सेदारी का भयंकर खतरा मंडरा रहा है। फिलवक्त कुर्मी महतो के आदिवासी बनाने का खतरा, डोमिसाइल के नाम पर झुनझुना थमाने और रोजगार नहीं पाने का खतरा, सीएनटी एसपीटी कानून रहने के बावजूद आदिवासी जमीन लूट का खतरा है।
उन्होंने कहा कि आदिवासी सेंगेल अभियान के अनुसार कुरमी जाति को एसटी बनाने के लिए झामुमो पार्टी सर्वाधिक दोषी है। इस पार्टी ने केवल वोट की लालच और स्वार्थ के लिए आदिवासी विरोधी फैसला लेकर कुरमी महतो जाति को एसटी बनाने के लिए समर्थन देकर भड़काने का काम किया है।
इस निमित्त 8 फरवरी 2018 को जेएमएम के सभी सांसद, विधायकों ने हेमंत सोरेन के नेतृत्व में हस्ताक्षरित ज्ञापन पत्र तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को दिया गया था। जेएमएम पार्टी का यह फैसला बिल्कुल आदिवासी विरोधी है। आदिवासियों के नरसंहार का रास्ता प्रशस्त करता है।
अतः आदिवासी सेंगेल अभियान जेएमएम का घोर विरोध करता है। निंदा करती है। आदिवासियों के भोलेपन और राजनीतिक कुपोषण का बेजा फायदा उठाकर झामुमो पार्टी आदिवासियों का सर्वाधिक नुकसान कर रही है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज का दुर्भाग्य है कि जाने-अनेजान झामुमो को आंख मूंदकर समर्थन देकर अपनी कब्र खोदने का काम खुद करते हैं।
उन्होंने कहा कि 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीयता के अव्यवहारिक मामले पर भी झामुमो ने आदिवासी समुदाय को ठगने का काम किया है। बैठक में बोकारो जिलाध्यक्ष सुखदेव मुर्मू ने कहा कि फिलहाल आदिवासी सेंगेल अभियान की तरफ से सरना धर्म कोड की मान्यता के लिए भारत सरकार को आगामी 20 नवंबर तक सकारात्मक संकेत पहल के लिए अल्टीमेटम दिया गया है।
अन्यथा 30 नवंबर को देश के 5 आदिवासी बहुल प्रदेशों में रेल, रोड चक्का जाम को मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि बीते 30 सितंबर का सरना धर्म कोड कोलकाता रैली ऐतिहासिक सफल था। जिसमें 5 प्रदेशों से लगभग एक लाख सेंगेल समर्थक आदिवासी शामिल हुए थे।
इस सेंगेल सभा में कृष्णा किस्कू, राखो किस्कू, कोमल किस्कू, राम सिंह सोरेन, प्राण सोरेन, सुरेश सोरेन, फुलेश्वर सोरेन, करमचंद सोरेन, शिवचरन सोरेन आदि महिला पुरुष उपस्थित थे।
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