रंजन वर्मा/कसमार (बोकारो)। गिरिडीह संसदीय सीट पर 25 मई को होनेवाले चुनाव में मुकाबला त्रिकोणीय होने के कारण जीत-हार का पेंच फंसता दिख रहा है।
लोकसभा चुनाव के अंतिम दिन गिरिडीह सीट के दावेदार सभी प्रत्याशी और उनके कार्यकर्ता अपने जीत व् कामयाबी हासिल करने के लिए घर-घर जाकर वोट देने की बात कर रहे हैं। कौन जीतेगा, कौन हारेगा इसका मतदाता को नहीं बल्कि संबंधित पार्टी एवं निर्दलीय उम्मीदवार के कार्यकर्ताओं को चिंता सताने लगा है।
जीत-हार के सियासी समीकरण में एनडीए, इंडिया गठबंधन के बीच में जेबीकेएसएस समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी के चुनाव मैदान में खड़े होने के कारण विभिन्न राजनीतिक दल के प्रत्याशियों की नींद हराम हो गई है।
जेबीकेएसएस समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी के चुनाव मैदान में आने से झारखंड मुक्ति मोर्चा को विशेष कर नुकसान होता दिख रहा है। ऐसे भारतीय जनता पार्टी और आजसू का जो वोट बैंक है उसमें कुछ सेंध मारी की आशंका जतायी जा रही है।
ऐसे में इस बार के चुनाव में किसी को अधिक वोट की वृद्धि नहीं हो सकता है। कयास लगाया जा रहा है कि 30 और 40 हजार के बीच में जीत का फैसला होगा। कौन गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र में अपना उपस्थिति दर्ज कर पाएगा यह मतदाताओं पर ही निर्भर कर रहा है।
गिरिडीह के मतदाता एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अच्छे प्रधानमंत्री के रूप में देख रहे हैं। झारखंड प्रदेश का राजनीतिक तापमान कुछ जगह का असर खराब दिख रहा है। झारखंड में 1932 खतियान के आधार पर जेबीकेएसएस समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी द्वारा वोट मांगा जा रहा है।
आने वाला बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए भी वोट मांगा जा रहा है। वही देश को सुरक्षित रखने के लिए नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने के लिए मतदाताओं का अपना बहुमूल्य वोट देने की मांग कर रहे हैं।
दूसरी ओर कांग्रेस द्वारा निकम्मी सरकार नरेंद्र मोदी को करार देते हुए इंडिया गठबंधन के पक्ष में मतदान करने की बात कही जा रही है। लेकिन, मतदाताओं की खामोशी के कारण गिरीडीह लोक सभा क्षेत्र का चुनाव का नतीजा किस ओर होगा यह कहना मुश्किल हो गया है। अन्य प्रत्याशी अपने जीत का दावा ठोक रहे हैं।
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