एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। झारखंड में मंईयां को सम्मान देने के लिए राज्य के सभी मंत्री अपने राजशाही ठाठ बाट व् सुविधाओं में कटौती करे।
उपरोक्त बातें आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केन्द्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने 8 जनवरी को अपने हटीया स्थित कार्यालय में कही। उन्होंने कहा कि मइया को सम्मान देना राज्य की आधी आबादी का आर्थिक रूप से सशक्तिकरण करना है, जो स्वागत योग्य कदम है जिसका आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच स्वागत करता है।
नायक ने कहा कि एक ओर मंईयां सम्मान सरकार दे रहीं हैं तो दूसरी ओर कई माह से वृद्धावस्था पेंशन/विधवा पेंशन/छात्रवृति की राशि बंद हो गई है। यह वृद्धावस्था पेंशन/विधवा पेंशन/अनुसूचित जाति/जनजाति के छात्र छात्राओं के साथ घोर अन्याय है। इसलिए हेमंत सरकार को चाहिए कि सबका साथ सबका विकास के मॉडल को अपनाते हुए एक अधिसूचना जारी करे। जिसके अनुसार राज्य के सभी मंत्री सिर्फ एक एस्कार्ट् पुलिस सुरक्षा बल गाड़ी और एक मंत्री की सरकारी गाड़ी का ही सिर्फ उपयोग करे।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य के सभी मंत्री बहुत विभागो के मंत्री है। वे सभी विभागों की गाड़ी को अपने काफिला में शामिल कर बेवजह सरकारी राशि की फिजूलखर्ची को बढ़ावा दे रहे है, जो राज्यहित मे नहीं है।
नायक ने यह भी कहा कि आज जो मंईयां सम्मान योजना को सफल बनाने के लिए राज्य के विकास की राशि को सभी विभागों से 10 से 20 प्रतिशत राशि जो विकास की राशि है, उसको कन्वर्ट कर राशि दी जा रहीं है। वह राज्य की गरीब गुरबा जनता के लिए शुभ नहीं है।
इस योजना को सफ़लतापूर्वक चलाने के लिए गैर योजना एवं स्थापना मद में व्यापक रुप से कटौती करने एवं फिजूलखर्ची पर रोक लगाने की दिशा मे सख्ती से कदम उठाया जाना चाहिए। कहा कि सरकार को अपना आंतरिक संसाधन को विकसित कर वित्त प्रबंधन को मजबूत करने की दिशा में ठोस पहल करना चाहिए, ना कि राज्य के विकास की राशि को दुसरे मद में खर्च करके वाह-वाही लुटना। यह गरीब राज्य के लिए अच्छे संकेत नही है। मंईयां सम्मान योजना चलता रहे और हर मंईयां को सम्मान मिलता रहे, मगर योजना की राशि की कटौती कर नहीं।
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