पौष पूर्णिमा पर हजारों श्रद्धालुओं ने लगायी आस्था की डुबकी

श्रद्धालुओं ने बाबा हरिहरनाथ का किया जलाभिषेक

अवध किशोर शर्मा/सोनपुर (सारण)। पौष पूर्णिमा का पावन दिन, हाड़ कंपानेवाली ठंढ़ व शीतलहर के बीच हजारों श्रद्धालुओं ने 6 जनवरी को सारण जिला के हद में सोनपुर के पहलेजा घाट में गंगा स्नान किया। इस अवसर पर दक्षिणायनी गंगा एवं काली घाट पर पवित्र नारायणी नदी में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगायी।

पौष पूर्णिमा के अवसर पर सोनपुर स्थित बाबा हरिहरनाथ मंदिर में रात्रि कालीन बेला में बाबा हरिहरनाथ की आरती-पूजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालूगण मौजूद थे। बाबा हरिहरनाथ की जय जयकार से सम्पूर्ण वातावरण भक्तिमय हो गया।

नारायणी नदी के पावन तट पर कालीघाट, गजेन्द्र मोक्ष घाट एवं पुल घाट पर भी अहले सुबह से स्नानार्थियों- श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी हुई थी। ठंढ़ की परवाह नही करते हुए स्नान करते हजारों श्रद्धालू भक्ति का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत कर रहे थे।

उधर दक्षिणायनी गंगा के पावन तट पर सोनपुर के ही पहलेजा घाट पर सुबह में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव के साथ स्नान किया। कल्पवासियों की टोली ने भी ठंढ़ में घाट पर अपना बसेरा बना लिया है।

दिन-रात भजन-कीर्तन के साथ-साथ अग्नि कुंड में हवन कार्य भी चल रहा है। कड़कड़ाती सर्दी में भी पहलेजा धाम में कल्पवास की प्राचीन परंपरा है। पौष पूर्णिमा पर कल्पवास आरंभ करने वाले कल्पवासी एक महीना तक यहीं पर रहते हैं। स्वयं बनाते-खाते हैं और भगवान का भजन करते हैं।

बताया जाता है कि कल्पवास से स्व नियंत्रण और आत्म शुद्धि होती है क्योंकि यह ‘काया-शोधन या काया-कल्प’ के नाम से भी जाना जाता है। वेदाध्ययन एवं ध्यान के लिए भी कल्पवास को सर्वोत्तम माना गया है। मानव को सच्चे अर्थों में मानव बनाने में यह आध्यात्मिक पथ का एक लघु पड़ाव भी माना जाता है।

धैर्य, अहिंसा और भक्ति की कठिन परीक्षा का नाम भी कल्पवास है, क्योंकि कल्पवासी वही होते है जो स्वभावतः सदाचारी, शांत मनवाले तथा जितेंद्रिय होते हैं। कोई-कोई मकर संक्रांति से भी कल्पवास का शुभारंभ करते हैं।

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