एस.पी.सक्सेना/बोकारो। बोकारो जिला (Bokaro district) के हद में कथारा स्थित राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ आवासीय कार्यालय में 31 दिसंबर को पत्रकारों से बातचीत के क्रम में सीसीएल रीजनल सचिव अजय कुमार सिंह ने कहा कि कथारा क्षेत्र में सर्वप्रथम लंबी अनुपस्थिति के कारण बर्खास्त कर्मी रामाशीष नोनिया का पुनःबहाली का मामला इंटक और कांग्रेस के प्रयासों से संभव हो पाया था।
उन्होंने कहा कि रामाशीष नोनिया की बहाली मुख्यालय के पत्रांक-पीडी/आईआर/एल/रिस्टेटमेंट 07/2018 दिनांक 23 मई 2007 के आलोक में पुन:बहाली का नियुक्ति पत्र तत्कालिन महाप्रबंधक यू एस सिंह द्वारा प्रदान किया गया था।
रामाशीष की बहाली के बाद श्रम संगठन के साथ तत्कालीन कोयला मंत्री शिबू सोरेन ने पुनः बहाली के मामले को आगे बढ़ाया। इसके बाद सीसीएल प्रबंधक ने 63 लोगों की पुनः बहाली के मामले में मार्च 2008 में मुहर लगा दी थी।
इस कड़ी में अगस्त 2008 में कथारा क्षेत्र में कजरू मुंडा, ध्रुव भुइयां, रामविचार, बिनोद कुमार चौहान, अनवर मियां, दिलीप राणा, महेंद्र मल्लाह आदि अन्य लोगों की बहाली है। पुन: इस प्रक्रिया के तहत वर्ष 2009 में दूसरी सूची में 29 लोगों के पुनःबहाली पर मुहर लगी। जिसमें कथारा क्षेत्र के शिवा मांझी, मिहीलाल मांझी, राजेंद्र कुमार सहित अन्य की पुनः बहाली हुई थी।
उन्होंने बताया कि इस सूची के बाद पत्रांक संख्या सीआईएल /सी-5 बी/आईआर/53347/1340-48 दिनांक 15/01/2009 के तहत पुनः बहाली की प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई थी।
इस दौरान श्रमिक संगठन के लंबे प्रयासों से कोल इंडिया स्तर पर इसका निपटारे को लेकर सभी इकाई कंपनियों के डीपी स्तर की बैठक हैदराबाद में नवंबर 2011 को आयोजित किया गया था।
यहां बैठक में मापदंड तय कर सभी कंपनियों में समानांतर के तहत पुनः बहाली की प्रक्रिया को शुरू करने के लिए निर्देश पारित किया गया था।जिसमें सीसीएल प्रबंधन ने भी तय मापदंड के आलोक में निम्नलिखित स्तर पूरा करने के तहत निर्णय लेते हुए सभी क्षेत्रों में निर्देश पारित किया था।
जिसका वर्ष 2000 के बाद बर्खास्त अवधि को बर्खास्त 3 वर्ष में 225 दिन उपस्थित हो। साथ ही 5 साल का सेवा काल बचा हो, आदि मापदंड तय किया गया। प्रबंधन ने शुरुआत में आवेदन जमा करने की तिथि 31 दिसंबर 2012 तक निर्धारित की थी, लेकिन उसके बाद अवधि विस्तार करते हुए 31 मार्च 2013 तक आवेदन जमा करने का निर्देश दिया गया।
श्रमिक नेता सिंह ने कहा कि इसके बाद सीसीएल प्रबंधन ने कुल उपस्थिति 3 वर्ष में 225 दिन को आधार मानकर 35 लोगों को पुनः नियोजित लोक जन अदालत हाई कोर्ट के माध्यम से 23 दिसंबर 2013 को दिया गया था।
जिसके बाद पुनः बहाली के लिए 57 लोगों की सूची तैयार हुई। जांच के दौरान 27 लोगों का मामला रोक दिया गया और 30 लोगों को प्रत्येक वर्ष 75 दिन उपस्थिति अनिवार्य मानकर अगस्त 2014 में पुनः बहाली की नियुक्ति पत्र देने का आदेश पारित हुआ।
इसके बाद नौकरी से वंचित 27 लोगों के मामले को लेकर तत्कालीन डीपी आर आर मिश्रा से राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ का एक प्रतिनिधिमंडल मिला। जिसमें स्वयं अजय कुमार सिंह, आशीष चक्रवर्ती, वेदव्यास चौबे, मोहम्मद आशिक शामिल थे। जिसमें डीपी के समक्ष 23 दिसंबर 2013 को जिस आधार पर 35 लोगों की नियुक्ति पत्र जारी हुआ था।
वैसे इस मामले में 27 लोगों का निपटारा करने की मांग रखी गई। जिससे एकरुपता का निर्णय हो सके। इसके बाद इस मामले को सीसीएल बोर्ड में जाकर सहमति प्रदान की गई, जिसकी 3 वर्ष में कुल उपस्थिति 225 दिन हो।
वैसे बर्खास्त कर्मियों को पुनः बहाली करने का निर्णय हुआ। जिसमें वर्ष 2016 में 57 लोगों के पुनः बहाली का निपटारा भी किया जा चुका है। जिसमें अधिकांश लोगों की नियुक्ति पत्र जारी किया जा चुका है। लेकिन इसी सूची के साथ 15 से 17 मामले कमिटी के पास उसकी जांच हेतु वर्तमान में पड़े हुए है।
उन्होंने कहा कि पूर्व में जो निर्णय लिया गया था उसके आलोक में सारी अनिवार्यता को पूरा करने वाले 27 श्रमिकों का मामला लंबे समय से विचाराधीन रखा गया है।
जिसका निपटारा आज तक नहीं हो पाया है। जिसमें मुख्य रुप से धनेश्वर यादव, शंकर हांसदा सहित पूरे सीसीएल के 27 लोगों का मामला मुख्यालय में लंबित पड़ा हुआ है। साथ ही परियोजना और क्षेत्रीय स्तर पर सैकड़ों मामला लंबित है।
उन्होंने बताया कि प्रबंधन के कछुआ चाल से बर्खास्त श्रमिकों में गहरी नाराजगी है। समय रहते प्रबंधन इस पर ध्यान नहीं देती है तो प्रबंधन के गलत निर्णय के खिलाफ राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ के बैनर तले बड़े आंदोलन का आगाज होगा।
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