कुछ तो गड़बड़ है, कार्यालयों, विभागों में क्यों नहीं लगाया जा रहा प्रीपेड मीटर-बंदना

छोटे व्यवसायियों से सलाना फिक्स चार्ज लेना बंद करे विभाग-सुरेंद्र प्रसाद सिंह

एस. पी. सक्सेना/समस्तीपुर (बिहार)। प्रीपेड स्मार्ट मीटर को त्रुटिपूर्ण एवं गरीब विरोधी बताते हुए महिला संगठन ऐपवा ने 6 अगस्त को समस्तीपुर शहर के विवेक-विहार, काशीपुर आदि मुहल्लों में हक दो-वादा निभाओ अभियान चलाकर प्रीपेड मीटर पर रोक लगाने की मांग मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री से की है।

ऐपवा से जुड़ी महिलाएं नीलम देवी, आशा देवी, सोनी देवी, भाकपा माले के सुरेंद्र प्रसाद सिंह आदि ने जिलाध्यक्ष बंदना सिंह के नेतृत्व में अपने-अपने हाथों में मांगों से संबंधित तख्तियां लेकर हक दो-वादा निभाओ अभियान के तहत जुलूस निकालकर रहिवासियों का ध्यानाकर्षण किया।

इस दौरान चौराहे पर उपस्थित आमजनों को संबोधित करते हुए ऐपवा जिलाध्यक्ष बंदना सिंह ने कहा कि प्रीपेड मीटर में कई खामियां हैं। प्रीपेड मीटर का तेज चलना, रिचार्ज के बाबजूद बिजली आपूर्ति शुरू नहीं होना, सर्वर डाउन रहने पर रिचार्ज नहीं होना, मीटर खराब होने पर स्थानीय स्तर पर ठीक नहीं होना, बिल की गड़बड़ी होने पर स्थानीय स्तर पर ठीक नहीं होना, शार्ट लगने पर मीटर का ओभरलोड हो जाना आदि गड़बड़ी है।

ऐपवा नेत्री ने कहा कि मीटर रेंट के नाम पर प्रतिदिन न्यूनतम राशि 267 पैसा काटे जाने से गरीबों पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। उन्होंने कहा कि इन्हीं खामियों की वजह से प्रीपेड मीटर सरकारी विभागों, कार्यालयों एवं अधिकारियों के आवासों में नहीं लगाया जा रहा है। वहीं नीरीह उपभोक्ताओं के यहां इसे जबरदस्ती लगाया जा रहा है। इसके खिलाफ जनता को संघर्ष का रास्ता अख्तियार करने समेत मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री से प्रीपेड मीटर पर रोक लगाने की मांग की गई है।

भाकपा माले के सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि 21 घंटे से कम बिजली आपूर्ति होने पर फिक्स चार्ज में रियायत देने का प्रीपेड मीटर में प्रावधान है। बावजूद इसके इसका पालन नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रचंड गर्मी और खेती-किसानी के समय में समस्तीपुर जिला में लगातार बिजली कटौती हो रही है। मुख्यमंत्री के 24 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति की घोषणा के बावजूद बिजली गायब रह रही है।

शहर से गांव तक रहिवासी लो वोल्टेज, फेस जलने, तार टूटने, ट्रांसफार्मर जलने, मोटर नहीं चलने, जलापूर्ति नहीं होने से त्रस्त है। विभाग इसे सुधारने के बजाय सिर्फ वसूली में लीन है। इसके खिलाफ आंदोलन ही एक मात्र रास्ता बचा है।

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