संतोष कुमार/वैशाली (बिहार)। अप्रैल माह में हीं बिहार में गर्मी ने जोरदार दस्तक दे दी है। उसका असर भी देखने को लगातार कुछ दिनों से मिल रहा है।
ट्रैफिक प्रशासन (Traffic Administration) के अथक प्रयासों और राज्य सरकार (State Government) के बड़े अधिकारियों की नीतियों से राहत भी महात्मा गांधी सेतु वाहन चालकों को मिल जाती है। फिर भी बिहार की लाइफ लाइन कहे जा रहे महात्मा गांधी सेतु पथ पर महाजाम का सामना वाहन चालकों को करना पड़ ही जाता है।
यह दृश्य 18 अप्रैल को दिन ग्यारह बजे का है। जाम की समस्या ठंड के दिनों में तो उतना नहीं रुला पाती लेकिन जब गर्मी अपने शबाब पर होती है, तो इस पुल जाम की समस्या से जूझना सभी के लिए काफी कष्टप्रद होता है। आम वाहन चालकों के साथ वैसे अधिकारियों और नेताओं को भी इसकी पीड़ा झेलनी पड़ती है।
जो पटना से हाजीपुर की तरफ और हाजीपुर से पटना की तरफ सरकारी कार्यों से आवागमन करते हैं। बच्चों तथा महिलाओं को खासे परेशानी होती है। सेतु पर जाम में भूख और प्यास भी सताने लगती है। प्रतिक्रिया देते हुए सोनपुर क्षेत्र के सबलपुर निवासी सह इलाजरत उपेंद्र सिंह और उनके पुत्र ने जानकारी दी कि बीमार व्यक्ति को लेकर पटना जाना मुश्किल महसूस होता है।
ज्ञात हो कि, सरकारी तंत्र सजग रहकर सेतु पर निर्बाध आवागमन सुविधा बहाल करता रहता है। फिर भी सेतु पर आवागमन को लेकर आम वाहन चालकों से लेकर खास तक में संशय की स्थिति बरकरार है। कुछ जानकारों का यह भी मानना है कि लेन ड्राइविंग के प्रति लापरवाही भी एक मुख्य वजह है।
आम प्रतिक्रिया यह भी आती रहती है कि महात्मा गांधी सेतु पर निर्बाध आवागमन के इंतजामों पर केंद्र और राज्य सरकार उच्च स्तरीय विमर्श के बाद एक ठोस प्रयास करती तो एक बेहतर परिणाम संभव है। वहीं सरकारी प्रयासों की बात करें तो गांधी सेतु पर लोड कम करने के मकसद से सोनपुर पटना मार्ग पर एक सेतु निर्माण भी कराया गया, जिसे जेपी सेतु के नाम से जाना जाता है।
सरकार (Government) के उक्त प्रयास को आंशिक ही नहीं उससे बढ़कर सफलता मिली। बावजूद इसके महात्मा गाँधी सेतू पर जाम से कब मुक्ति मिलेगी, यह निकट भविष्य में संभव नहीं जान पड़ता है।
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