एस. पी. सक्सेना/बोकारो। देश (Country) के आन-बान और शान का प्रतीक सेना का जवान जब देशहित में अपने प्राणों की आहुति देते हैं, तब तमाम देशवासियों को उनपर गर्व होता है। कालखंड में धीरे धीरे हम उस परिवार को भूल जाते हैं, जिस परिवार का बेटा, पति, पिता और भाई ने अपनी कुर्बानी देकर तिरंगे की रक्षा की है।
ऐसा हीं एक परिवार बोकारो जिला (Bokaro district) के हद में ललपनिया में रह रहा है, जिसे आज समाज व् सरकार के सहयोग की जरूरत है। उक्त परिवार को तलाश कर अखिल भारत हिन्दू महासभा के झारखंड प्रदेश उपाध्यक्ष गायत्री तिवारी ने 26 मई को सम्मानित किया।
परिवार के लिए वह क्षण गर्व महसूस करनेवाला था या घुटन भरा दर्द देकर गुजर गया, इसका आकलन करना संभव नहीं है। पर इतना तो अवश्य है कि उक्त परिवार ने देश को बहुत बड़ी नेमत दी है। देश ने जहां एक जनवरी वर्ष 2016 को अपना जवान भारतीय वायुसेना का जाबांज सर्जेन्ट राजीव कुमार को खो दिया था।
वहीं ललपनिया निवासी अशोक कुमार ठाकुर तथा पुनिता देवी ने अपना होनहार पुत्र, मिंटी ठाकुर उर्फ आरती ने अपना पति तो छोटा सा नवजात आरब जो अब लगभग दस साल का हो गया है उसने तब पालने में हीं अपने पिता को खो दिया था।
शहीद वायु सेना के सर्जेन्ट राजीव के पिता अशोक कुमार ठाकुर जो स्वयं होम्योपैथिक चिकित्सा का कार्य कर परिवार का बोझ अकेले कंधे पर उठाये हैं ने रुंधे गले से बताया कि वर्ष 1978 में जन्मे उनके पुत्र राजीव ने प्रारांभिक शिक्षा पिट्स मॉडर्न स्कूल गोमियां से की थी।
वहां से दशम पास करने के बाद उसने डीएवी पब्लिक स्कूल (DAV Public) ललपनिया से बारहवीं पास कर 17 जून 2002 को भारतीय वायु सेना ज्वाइन किया। एक जनवरी 2016 को हिमाचल प्रदेश के डलहौजी में आतंकी हमले के दौरान रडार की सुरक्षा ड्यूटी के दौरान वर्फ खिसकने से उसके सर में गंभीर चोट लगी। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी।
शहीद राजीव की माताजी पुनिता देवी ने बताया कि उन्हें गर्व है कि उनके पुत्र ने कर्तव्य का निर्वाह करते हुए बलिदान दिया। उन्होंने बताया कि घटना के बाद कुछ दिनों तक उन्हें वायु सेना सहित सरकरी तंत्र द्वारा सहयोग का आश्वासन भी मिला। कहीं कहीं उन्हें सम्मानित भी किया गया, लेकिन आजतक मेरे परिवार को कही से कोई सहयोग नहीं मिला।
उन्होंने बताया कि सरकार (Government) या वायु सेना द्वारा यदि केवल उनकी बहु (शहीद सर्जेन्ट राजीव की धर्मपत्नी) मिंटी को सरकारी नौकरी भी मिल जाता तो वे समझती कि उनके पुत्र की कुर्बानी ब्यर्थ नहीं गया है।
उन्होंने बताया कि कई जगह नियोजन का आग्रह के बाद भी जब आशा की कोई किरण नहीं दिखा तब थक हारकर बहु को दुगदा स्थित स्वामी रामकृष्ण परमहंस शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय से उसे बीएड करा रही हैं, ताकि वह आत्मनिर्भर बनकर देश व् समाज की सेवा कर सके।
जबकि शहीद जवान राजीव की विधवा सवालों का जबाब देने के बजाय केवल शून्य में निहारती रही। जैसे वह अपने खोये पति की तलाश में हो। शहीद का पुत्र आरब वर्ग पांच में डीएवी पब्लिक स्कूल ललपनिया में अध्ययनरत है।
इस संबंध में अखिल भारत हिन्दू महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष गायत्री तिवारी ने कहा कि जिस परिवार के पुत्र ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया उस परिवार की दशा देख उनका हृदय द्रवित हो गया। उन्होंने केंद्र व् राज्य सरकार से शहीद की विधवा को नियोजन देने की मांग की है।
691 total views, 2 views today