एस. पी. सक्सेना/मुजफ्फरपुर (बिहार)। जिला मुख्यालय मुजफ्फरपुर शहर के नवयुवक समिति सभागार में 30 जून को नटवर साहित्य परिषद की ओर से मासिक कवि गोष्ठी सह मुशायरा का आयोजन किया गया। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि नरेन्द्र मिश्र, मंच संचालन सुमन कुमार मिश्र व धन्यवाद ज्ञापन नटवर साहित्य परिषद के संयोजक डॉ नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी ने किया।
उक्त जानकारी देते हुए मुजफ्फरपुर के युवा कवियित्री सविता राज ने देते हुए बताया कि आयोजित कवि गोष्ठी की शुरुआत आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री की गीत से किया गया। इस अवसर पर कवि सत्येन्द्र कुमार सत्येन ने भोजपुरी टिकुलिया तरके बिन्दियां चमकेला बरिजोर, गोरी अंचरवा तर मुखरा छुपाई चल सुनाकर भरपूर तालियां बटोरी।
कवि ओम प्रकाश गुप्ता ने होती है कीमत लफ्जों की, बातें ज्यादा मत करना प्रस्तुत की। सुमन कुमार मिश्र ने बरसो मेरे गांव में जलधर अमन चैन का बादल बनकर सुनाकर भरपूर दाद बटोरी। डाॅ नर्मदेश्वर मुजफ्फरपुरी ने ग़ज़ल नज्जारों से आगे नजर और भी है, अभी इश्क का कुछ असर और भी है सुनाकर प्रेम रस का बखान किया।
कवि गोष्ठी में कवियित्री उषा किरण श्रीवास्तव ने हाथ रंगल मेहदी के रंग में, अपटन सरसों मेथी के सुनाकर जमकर तालिया बटोरी। डाॅ जगदीश शर्मा ने अजब गजब के परिधान बने निराले है सुनाया। नरेन्द्र मिश्र ने थका बटोही सूरज ढलता प्रस्तुत किया। अंजनी कुमार पाठक वीर रस की कविता ने खून गरीबों का मत चूसो, भारत मां के है ये वंशज सुनाकर भरपूर तालियां बटोरी।
कवयित्री सविता राज ने दर्द आंसू या घुटन जो भी रहे, बन नदी बहती रही है बेटियां सुनाकर समाज की वर्तमान सच्चाई को प्रस्तुत की। रामबृक्ष राम चकपुरी ने कानूनी छिद्रों से मजलूमों को इंसाफ नहीं नाइंसाफी का खतरा बढ गया सुनाकर तालियां बटोरी।
आशा कुमारी ने हमारी राष्ट्र भाषा है हिन्दी सुनाई। मुन्नी चौधरी ने तुम हो मन की अनुभूति का वर्णन की। गोष्ठी में मुस्कान केशरी ने शादी सबको करना है सुनाकर माहौल को खुशनुमा बना दिया।
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