एस. पी. सक्सेना/मुजफ्फरपुर (बिहार)। बिहार प्रांत की हृदय स्थली मुजफ्फरपुर शहर के श्रीनवयुवक समिति सभागार में 28 अप्रैल को नटवर साहित्य परिषद की ओर से मासिक कवि गोष्ठी सह मुशायरा का आयोजन किया गया।
अध्यक्षता सत्येन्द्र कुमार सत्येन, मंच संचालन डाॅ लोकनाथ मिश्र, स्वागत उद्बोधन नटवर साहित्य परिषद के संयोजक डॉ नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी व धन्यवाद ज्ञापन डाॅ विजय शंकर मिश्र ने किया।
उक्त जानकारी देते हुए मुजफ्फरपुर के युवा कवियित्री सविता राज ने बताया कि नटवर साहित्य परिषद द्वारा आयोजित कवि गोष्ठी की शुरुआत आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री की गीत से किया गया। वरिष्ठ कवि व गीतकार डाॅ विजय शंकर मिश्र ने गीत रचें हम गुलमोहर की छांव में, तपन – ताप से मुक्ति मिले फिर गुलमोहर की छांव में सुनाकर श्रोताओं की तालियां बटोरी।
बताया कि इस अवसर पर गजलकार डॉ नर्मदेश्वर मुजफ्फरपुरी ने मानव जीवन पाये हो तो कुछ अच्छा कर लो ना, कष्टों के कांटे हटाकर खुशियों की झोली भर लो ना प्रस्तुत किया। आचार्य चन्द्रकिशोर पाराशर ने हर दिल में शिवाला हो तो कोई बात बने, हर मुँह में निवाला हो तो कोई बात बने सुनाकर वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर कटाक्ष किया।
डाॅ लोकनाथ मिश्र ने अकेला ही तो आया था अकेला ही जाऊंगा सुनाकर तालिया बटोरी। प्रमोद नारायण मिश्र ने याद आई पर तू न आई, सूख गई सब तरुणाई कविता प्रस्तुत की।
कवियित्री सविता राज ने बताया कि कवि गोष्ठी में कवि शुभनारायण शुभंकर ने हमदर्द कहां कोई मतलब के यार सभी सुनाया।
अंजनी कुमार पाठक ने इस कड़ी धूप में हम तपते रहे कविता प्रस्तुत किया। सत्येन्द्र कुमार सत्येन ने अइले बइसाख मास लगने के दिनवा सुनाया। मोहन कुमार सिंह ने चाल चरित्र चेहरा राजनीति में कहां ठहरा सुनाया। डाॅ जगदीश शर्मा ने घूल धूप की तासीर दिन रात की अलग है सुनाया।
नरेन्द्र मिश्र ने वंचिता कुमुदुनी पराग में सिमट गई सुनायी। मुन्नी चौधरी ने अब यह कैसा मोह कविता प्रस्तुत की। दीनबंधु आजाद ने हंसना और हंसाना कोशिश है मेरी सुनाया।
कवियित्री के अनुसार मासिक कवि गोष्ठी में उपरोक्त के अलावे अशोक भारती, नन्द किशोर पोद्दार, सुरेन्द्र कुमार, संजय कुमार की भी रचनाएं सराही गयी।
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